नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन है। वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट आज राज्यसभा के पटल पर रखी गई। जैसे ही रिपोर्ट पेश हुई, राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया, जिसके कारण कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने विधेयक से संबंधित रिपोर्ट और साक्ष्यों का रिकॉर्ड सदन में रखा। इसी बीच लोकसभा की कार्यवाही भी दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दी गई।
इस विधेयक के पेश किए जाने के बाद केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक पूरी तरह से नियमों के तहत है और इसमें कुछ भी हटाया नहीं गया है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे सदन को गुमराह कर रहे हैं। वहीं, जेपीसी के सदस्य संजय सिंह ने कहा कि उन्होंने अपनी असहमति को रिपोर्ट में दर्ज किया था, लेकिन उस पर विचार नहीं किया गया।
वहीं, तिरुचि शिवा और सुष्मिता देव ने भी इस रिपोर्ट पर सवाल उठाया और कहा कि इसे समिति के सदस्य के असहमति नोट के बिना प्रस्तुत किया गया है, जो लोकतंत्र का उल्लंघन है। राज्यसभा में मेधा कुलकर्णी ने इस रिपोर्ट को प्रस्तुत किया।
विपक्षी नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस रिपोर्ट को फर्जी करार दिया और कहा कि इसे वापस जेपीसी के पास भेजा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष की राय को दबा दिया गया है, जिसे हम कभी नहीं स्वीकार करेंगे।
इस दौरान, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ विधेयक का विरोध करते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया और चेतावनी दी कि यदि यह विधेयक कानून बनता है, तो यह देश में सामाजिक अस्थिरता पैदा करेगा। ओवैसी ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय इसे पूरी तरह से खारिज करता है और वक्फ संपत्ति को छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।