गिरिडीह: गिरिडीह जिले के पारसनाथ क्षेत्र में शुक्रवार को पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई में हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद हुआ है। यह बरामदगी जोकाई नाला और गार्दी के समीप जमीन के नीचे दफन पानी की टंकी से हुई। इस कार्रवाई को सीआरपीएफ 154वीं बटालियन और गिरिडीह पुलिस ने अंजाम दिया।
बरामद जखीरे से मिले ये हथियार:
8 पीस .303 एक्शन सिंगल शॉट राइफल (कंट्री मेड)
1 पीस 12 बोर डबल बैरल राइफल (फैक्ट्री मेड)
4 पीस .315 बोर सिंगल शॉट राइफल (कंट्री मेड)
1 पीस 7.62 एसएलआर राइफल मैगजीन के साथ
अब इन हथियारों की उत्पत्ति और पूर्व इतिहास को लेकर जांच तेज हो गई है।
क्या होमगार्ड कैम्प लूटकांड से जुड़ा है मामला?
बरामद हथियारों के मिलने के बाद नवंबर 2005 में गिरिडीह शहर के पचंबा स्थित होमगार्ड कैम्प पर हुए नक्सली हमले की यादें ताजा हो गई हैं। उस हमले में 150 से अधिक नक्सलियों ने हमला कर 183 राइफलें और हजारों राउंड गोलियां लूट ली थीं। लूटे गए हथियारों में शामिल थे:
31 पीस 4 डीपी राइफल
91 पीस .4 मार्क राइफल
10 पीस .22 राइफल
51 पीस .303 राइफल
2 रिवाल्वर
लगभग 2500 राउंड कारतूस
होमगार्ड कैंप पर हुए हमले में 8 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें होमगार्ड, सिविलियन और पुलिसकर्मी शामिल थे। हमले के दौरान बारूदी सुरंगें और आईईडी का भी इस्तेमाल किया गया था। अब सवाल उठ रहा है कि क्या पारसनाथ से बरामद .303 राइफलें उन्हीं लूटी गई राइफलों का हिस्सा हैं?
हथियारों के नंबर से किया जाएगा मिलान
गिरिडीह एसपी डॉ. बिमल कुमार और एएसपी अभियान सुरजीत कुमार के नेतृत्व में टीम यह पड़ताल कर रही है कि हथियारों की बरामदगी का संबंध नक्सलियों से है या नहीं। पुलिस सूत्रों के अनुसार बरामद राइफलों के नंबरों का मिलान 2005 में लूटे गए हथियारों के सीरियल नंबर से किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, अन्य नक्सली घटनाओं में लूटे गए हथियारों से भी मिलान प्रक्रिया की जाएगी। जांच पूरी होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि बरामद हथियार नक्सलियों द्वारा लूटे गए थे या नहीं।
पारसनाथ क्षेत्र में कम हुईं नक्सली गतिविधियां
हाल के वर्षों में पारसनाथ क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों में कमी आई है। साहेबराम, पवन लंगड़ा, प्रयाग जैसे कुख्यात नक्सली मारे जा चुके हैं, जबकि रणविजय और कृष्णा हांसदा जेल में हैं। इसके बावजूद यह संभावना जताई जा रही है कि पुराने नक्सली संगठनों ने इन हथियारों को छिपाकर रखा था।