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क्या होती है महंगाई दर, कैसे होती है इसकी गणना? भारत में क्या है स्थिति? जानिए

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क : महंगाई दर एक निश्चित अवधि में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में होने वाले परिवर्तन के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसे प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। महंगाई दर की गणना करने के लिए दो अलग-अलग समयावधि में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों की तुलना की जाती है। यह बताना भी आवश्यक है कि जनवरी 2023 के बाद से खुदरा महंगाई की दर में निरंतर गिरावट दर्ज की जा रही है।

क्या होता है महंगाई दर?

महंगाई दर, या आम भाषा में Inflation Rate, एक आर्थिक मापदंड होता है जो दिखाता है कि एक निश्चित तिथि के अंदर मूल्य स्तर में कितनी वृद्धि हुई है। यानी, यह दर्शाता है कि एक विशिष्ट समय के अंदर महंगाई यानि कि दुकान या सेवाओं की मूल्यों में कितनी वृद्धि हुई है, और इससे लोगों की खरीददारी कैसी है? महंगाई दर को आमतौर पर प्रतिशत (%) में व्यक्त किया जाता है और यह वहां के उपभोक्ता मूल्य सूची के आधार पर निर्धारित किया जाता है। यह बताता है कि यदि आप एक साल पहले की तुलना में आज की तारीख पर वही माल या सेवाएं खरीदते हैं, तो कितनी अधिक रकम की जरूरत है मतलब प्राइस में कितना उछाल आता है।

कैसे होती है मंहगाई दर की गणना

महंगाई दर की गणना करने के लिए दो मुख्य तरीके हैं-

खुदरा मूल्य सूचकांक (CPI)

खुदरा मूल्य सूचकांक एक ऐसा सूचकांक है जो शहरी परिवारों द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को ट्रैक करता है। CPI को गणना करने के लिए, एक आधार वर्ष चुना जाता है। आधार वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को 100 के रूप में मान लिया जाता है। इसके बाद, वर्तमान वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों की तुलना आधार वर्ष की कीमतों से की जाती है।

थोक मूल्य सूचकांक (WPI)

WPI एक ऐसा सूचकांक है जो निर्मित माल की कीमतों को ट्रैक करता है। WPI को गणना करने के लिए, एक आधार वर्ष चुना जाता है। आधार वर्ष में निर्मित माल की कीमतों को 100 के रूप में मान लिया जाता है। इसके बाद, वर्तमान वर्ष में निर्मित माल की कीमतों की तुलना आधार वर्ष की कीमतों से की जाती है।

भारत में महंगाई दर

पिछले वर्ष मई, 2022 में यह 7.04 प्रतिशत पर थी, यानी पिछले एक वर्ष में खुदरा महंगाई की दर 2.79 प्रतिशत कम हुई है। भारत में मई 2023 में महंगाई दर में 4.25 प्रतिशत वृद्धि को मई 2022 की तुलना में महंगाई में कमी के रूप में देखा जा रहा है, जब महंगाई दर 7.24 प्रतिशत थी। हालांकि, भारत की महंगाई दर अब भी भारतीय रिजर्व बैंक की महंगाई की तय सीमा के भीतर है, लेकिन इसे ब्राजील, रूस और दक्षिण कोरिया की तुलना में अधिक माना जा सकता है। ब्याज दरें 2020 में ऐतिहासिक निचले स्तर पर थीं, क्योंकि कोविड-19 के कारण आर्थिक गिरावट आई थी। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 व आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए महंगाई की दर 5.1 प्रतिशत तथा 4.8 प्रतिशत रहने का पूर्वानुमान भी व्यक्त किया है।

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महंगाई दर बढ़ने के क्या हैं प्रभाव?

महंगाई दर बढ़ने से लोगों की खरीद शक्ति कम हो जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रोजाना इस्तेमाल होने वाले सामान और अन्य वस्तुएं महंगी हो जाती हैं और लोगों के पास अपनी आय को उन वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए खर्च करने के लिए कम पैसे होते हैं। महंगाई दर बढ़ने से केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में वृद्धि कर सकता है क्योंकि वे महंगाई को नियंत्रित करना चाहते हैं। साथ ही महंगाई दर बढ़ने से आर्थिक विकास में मंदी आ सकती है। क्योंकि लोग कम खर्च करते हैं, जिससे कंपनियों की बिक्री और लाभ कम हो जाता हैं।

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