नई दिल्लीः एक देश-एक चुनाव को मोदी कैबिनेट की ओर से मंजूरी मिल गई है। इसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। लेकिन जिस महत्वाकांक्षी वादे को मोदी सरकार ने अपने मैनिफेस्टो में और पीएम मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बार-बार इसका जिक्र किया, वो है क्या? इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसे BJP के तीसरे कार्यकाल में ही पूर्ण किए जाने की घोषणा की थी।
कौन-कौन है कमेटी में
इसके लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में एक कमेटी गठित की गई थी। इसी कमेटी द्वारा बनाई गई रिपोर्ट को आधार बनाकर मंजूरी दी गई है। 2 सितंबर 2023 को कमेटी गठित हुई। जिसके 8 सदस्य थे-गृह मंत्री अमित शाह, गुलाम नबी आजाद, फाइनेंस कमीशन के पूर्व चेयरमैन एन के सिंह, लोकसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल सुभाष कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को कमेटी का विशेष सदस्य बनाया गया।
18 हजार से अधिक पन्नों की रिपोर्ट
इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी। जिसे तकरीबन 191 दिनों के रिसर्च के बाद तैयार किया गया था। खबरों की मानें तो इस कमेटी ने 2029 में पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। इसके लिए संविधान के अंतिम 5 अनुच्छेदों में संसोधन की आश्यकता होगी।
कौन पक्ष में-कौन विपक्ष में
लोकसभा, विधानसभा औऱ स्थानीय स्तर पर एक ही वोटर लिस्ट रखने की भी बात है। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे। दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर ही स्थानीय निकाय के चुनाव कराने की बात कही गई। कमेटी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस प्रस्ताव पर 47 राजनीतिक दलों ने अपनी राय दी। जिसमें से 32 पक्ष में और 15 विपक्ष में थे।
क्या कहना है चुनाव आयोग का
इस पर चुनाव आयोग ने कहा है कि उन्हें एक साल का समय चाहिए। ताकि वे EVM और वीवी पैड की तैयारी कर सके। भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, ये दो ऐसी कंपनियां है, जो भारत में इवीएम (EVM) मशीन बनाती है। आगामी चुनाव में चुनाव आयोग को 4 लाख अतिरिक्त इवीएम मशीन की आवश्यकता पड़ेगी। एक साथ चुनाव कराए जाने के फायदों पर बात करते हुए कमेटी ने कहा कि इससे मतदाताओं को आसानी होगी औऱ बार-बार मतदान के झंझटों से मुक्ति मिलेगी।
क्या है एक राष्ट्र-एक चुनाव
एक राष्ट्र-एक चुनाव का मूल विचार यह है कि लोकसभा एवं राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। वर्तमान में लोकसभा चुनाव प्रत्येक पांच वर्ष पर होता है। राज्य विधानसभा में उनके विघटन व अन्य कारकों के आधार पर तय किया जाता है। प्रत्येक राज्य की विधानसभा का अपना कार्यकाल है। जिसके कारण राज्यों में अलग-अलग अंतराल पर चुनाव होते है।
क्या है इस प्रस्ताव के फायदे
- इससे चुनाव की लागत कम होगी।
- चुनाव में लगने वाले प्रशासनिक व सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा।
- सरकार हर वक्त चुनाव मोड में रहने की बजाय शासन पर ध्यान केंद्रित कर पाएगी।
- विधि आयोग का मानना है कि इससे मतदान के प्रतिशत में भी सुधार होगा, क्यों कि मतदाताओं के लिए एक साथ कई मतपत्र डालना आसान होगा।
इस प्रस्ताव के विरुद्ध में दिए जाने वाले तर्क
- संविधान सहित अन्य कानूनी ढांचों में बदलाव करनी होगी। संविधान संसोधन विधेयक संसद में पेश करना होगा।
- इससे क्षेत्रीय मुद्दे राष्ट्रीय मुद्दों पर भारी पड़ सकते है।
- सभी राजनीतिक दलों के बीच सहमति, एक बड़ा रोड़ा है।
हांला कि दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, बेल्जियम, जर्मनी, जापान, इंडोनेशिया और फिलिपींस जैसे देशों में पहले से ही एक देश-एक चुनाव का प्रावधान है।