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क्या है MUDA स्कैम और क्यों BJP सिद्दारमैया से मांग रही इस्तीफा

जमीन घोटाले के मामले में सीएम और उनकी पत्नी दोनों ही आरोपी है। 2021 में मैसुरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने हाउसिंग साइट्स को उनके 3.16 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बदले में दिया था। इस मामले में कर्नाटक राज्य के राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने सीएम के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। Muda Land Scam: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया की पत्नी को जमीन आवंटित किए जाने के मामले में आज कोर्ट का फैसला आया है। मैसूर अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MUDA) जमीन घोटाले मामले में आज कर्नाटक हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है। इसी फैसले के बाद बीजेपी ने सिद्दारमैया से इस्तीफे की मांग कर दी है।

राज्यपाल ने सीएम के खिलाफ दिए थे जांच के आदेश

जमीन घोटाला मामले में सीएम और उनकी पत्नी दोनों ही आरोपी है। 2021 में मैसुरु अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने हाउसिंग साइट्स को उनके 3.16 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के बदले में दिया था। जमीन आवंटन घोटाले में सीएम सिद्दारमैया को राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। साथ ही उनके खिलाफ जांच शुरू करने और मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी।

कोर्ट ने कहा- तथ्यों की जांच की आवश्यकता है
इस मामले में कोर्ट ने 24 सितंबर को राज्यपाल की मंजूरी को चुनौती देने वाली सीएम सिद्दारमैया की याचिका खारिज कर दी गई। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की सिंगल बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में तथ्यों की जांच की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि MUDA की ओर से जमीन सिद्दारमैया के परिवार को दी गई है, तो यह जांच से ही पता चल पाएगा कि इसमें कोई भ्रष्टाचार शामिल है या नहीं।

क्या है MUDA Scam
इस साल जुलाई माह में तीन एंटी करप्शन के एक्टिविस्टों ने राज्यपाल से मुलाकात की। जिनके नाम क्रमशः टीजे अब्राहम, स्नेहमयी कृष्णा और प्रदीप कुमार थे। इन लोगों ने राज्यपाल को बताया कि सिद्दारमैया की पत्नी पार्वती को मुडा की ओर से 14 हाउसिंग साइट्स आवंटित किए गए है। ये आवंटन उनके 3.16 एकड़ के जमीन के बदले में किए गए। इससे राज्य को 55.80 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इन्हीं दलीलों के आधार पर इन एक्टिविस्टों ने सीएम के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की।

कोर्ट के फैसले के बाद BJP नेता सीटी रवि ने की इस्तीफे की मांग
इस बाबत 16 अगस्त को राज्यपाल ने जांच की मंजूरी दी, तो सिद्दारमैया ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट का रुख अपना लिया। CM का कहना था कि राज्यपाल द्वारा यह आदेश बिना सोचे-समझे जारी किया गया है। इस मामले में 6 बार सुनवाई हुई। अब कोर्ट ने 24 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए गहलोत के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट के फैसले के बाद BJP नेता सीटी रवि ने ये कहते हुए इस्तीफे की मांग की है कि कानून सबके लिए बराबर है और कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

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