धार्मिक डेस्क : हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस बार भगवान श्री कृष्ण का 5250 जन्मोत्सव मनाया जाएगा। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के अष्टमी तिथि को मथुरा में हुआ था। इस बार भगवान के जन्मोत्सव की तैयारी पूरे देश भर में शुरू हो गई है। विशेष रूप से मथुरा और वृंदावन में तैयारियां शुरू हो गई है। इस मौके पर एक से बढ़कर एक रंगारंग कार्यक्रम के आयोजन की तैयारी चल रही है। वहीं दूसरी तरफ कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर व्रतियों में भी उत्साह है।
इस साल कब है कृष्ण जन्माष्टमी?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल कृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनाया जायेगा। जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी मनाई जायेगी। व्रती इस दिन व्रत रखकर भगवान के बाल स्वरूप को पूजा करेंगे। इस व्रत को गृहस्थ और वैष्णव दोनों ही व्रत करते है।
जाने कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जायेगी। भाद्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3:37 से लेकर 7 सितंबर शाम 4:14 तक रहेगी
व्रत का शुभ मुहूर्त: 6 सितंबर बुधवार को रात के 11:57 मिनट से रात 12:42 के बीच जन्माष्टमी की पूजा की जाएगी। रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर को सुबह 9:20 से लेकर 7 सितंबर सुबह 10:25 तक रहेगा। वही व्रती जन्माष्टमी का पारण 7 सितंबर सुबह 6:02 से शाम 4:14 के बीच कर सकते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी पूजा की क्या है मान्यताएं?
देश भर के लोग कृष्ण जन्माष्टमी वाले दिन भगवान कृष्ण की पूजा व व्रत रखते हैं। रात में 12:00 बजे बाल गोपाल के जन्म के बाद उत्सव मनाया जाता है। भगवान को 56 प्रकार के पकवानों से भोग लगाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी पूजा के दिन व्रत करने पर भगवान श्री कृष्ण भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते है।
वहीं महिला व्रती को भगवान लड्डू गोपाल संतान प्राप्ति का आशीर्वाद देते है। व्रती कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए झूला झुलाती है और 56 प्रकार के पकवानों से भोग लगाती है।
भगवान कृष्ण जन्माष्टमी की धार्मिक मान्यताएं क्या है
कृष्ण जन्माष्टमी प्रमुख हिंदूओं का प्रमुख त्योहार है जो हर साल श्रावण मास के भद्रपद महीने के अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी के रूप में देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीकृष्ण भक्ति और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक हैं। भगवान कृष्ण लीलावतारी माने जाते है उनके बारे में अनेक कथाएं प्रचलित हैं
महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया उपदेश
भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध के समय धर्म की रक्षा के लिए अर्जुन को गीता का उपदेश दिया। उसमें उन्होने अर्जुन को जीवन के उद्देश्य, कर्म योग, भक्ति योग, और ज्ञान योग के माध्यम से धार्मिक ज्ञान का उपदेश दिया था। भगवद गीता भारतीय दर्शन और धर्मशास्त्र के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है और भारतीय संस्कृति में उच्च स्थान रखती है।भगवान श्रीकृष्ण के जन्म
दिन पर मंदिरों में, धार्मिक स्थलों पर, और घरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। लोग मिठाई, फल, और प्रसाद भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं। विशेष रूप से बांसुरी, मुकुट, पीताम्बर और शंख भगवान कृष्ण के विभिन्न अवतारों का प्रतीक हैं और उन्हें भक्ति और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। भगवान कृष्ण के जन्म की कहानी मथुरा से शुरू होती है।
देवकीनन्दन कृष्ण के जन्म की कथा
मथुरा नगरी में भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म राजकुमारी देवकी और वासुदेव के घर हुआ था। देवकी के भाई कंस ने उनके जन्म के बाद उनकी हत्या करने का प्रयास किया था, लेकिन भगवान कृष्ण के द्वारा की गयी लीला के कारण कंस कुछ नहीं कर पाया। श्रीकृष्ण का बचपन गोकुल अर्थात मथुरा में गोपियों के साथ रासलीला व खेल-खेल में पूतना वध आदि के लिए स्मरण किया जाता है। कृष्ण के किये गये कार्यो में कंसवध, भीष्म को मोक्ष तथा गीता का उपदेश आदि शामिल है।
कृष्ण की जन्म की कथा हिंदू पुराणों के साथ-साथ विष्णु पुराण, भागवत पुराण, वायु पुराण और हरिवंश पुराण में भी विस्तार से मिलती है।
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