सेंट्रल डेस्क : अगर बात दुनिया की ऊंची इमारतों की हो तो जेहन में सबसे पहला ख्याल बुर्ज खलीफा का ही आता है। साल 2010 में दुबई में बनी यह मल्टीस्टोरी बिल्डिंग दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है। दुनिया की सबसे ऊंची इमारत का खिताब अपने नाम करने वाली दुबई की ये बिल्डिंग विजनरी आइडिया और साइंस का बेहतरीन कॉम्बिनेशन है।
इसके अलावा दुनिया की सबसे ऊंची फ्रीस्टैंडिंग इमारत, सबसे तेज और लंबी लिफ्ट, सबसे ऊंची मस्जिद, सबसे ऊंचे स्वीमिंग पूल और सबसे ऊंचे रेस्टोरेंट का खिताब भी बुर्ज खलीफा के नाम ही दर्ज हैं। आइए आपियो बताते हैं बुर्ज खलीफा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां और साथ ही यह भी जाने की भारत में सबसे ऊंची इमारत कौन सी है।
बुर्ज खलीफा का इतिहास
इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य 2004 में शुरू हुआ था। आधिकारिक रूप से 2010 में इसका उद्घाटन किया गया। दुबई के डाउनटाउन में मौजूद इस बिल्डिंग को 2010 में पब्लिक के लिए खोला गया। इसका नाम यूएई के प्रेसिडेंट खलीफा बिन जाएद अल नाहयान के नाम पर रखा गया। यह इस्लामिक आर्किटेक्चर का बेहतरीन नमूना है। इसमें घर, ऑफिस, शॉपिंग माल, होटल के अलावा 30 एकड़ में बनी झील भी है। इस इमारत के निर्माण में लगभग 97 अरब रुपये की लागत आयी।
किसने किया था डिजाइन?
828 मीटर (2,722 फीट) की लुभावनी ऊंचाई पर दुबई रेगिस्तान की रेत के ऊपर स्थित, यह पृथ्वी जैसे ग्रह पर सबसे ऊंची इमारत के रूप में खड़ा है। बुर्ज खलीफा इमारत को शिकागो (Chicago) स्थित आर्किटेक्चर फर्म स्किडमोर, ओविंग्स एंड मेरिल द्वारा डिजाइन किया गया था। इसका निर्माण सैमसंग सीएंडटी और अरबटेक द्वारा किया गया था।
बुर्ज खलीफा का मालिक कौन है?
बुर्ज खलीफा का मालिक “मोहम्मद अलाब्बर (Mohamed Alabbar) जो की संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के एक प्रमुख व्यवसायी और उद्यमी हैं, मोहम्मद अलब्बर एमार प्रॉपर्टीज (Emaar Properties) कंपनी के संस्थापक और अध्यक्ष है। एमार प्रॉपर्टीज, 1997 में मोहम्मद अलाब्बर द्वारा स्थापित दुबई में एक रियल एस्टेट कंपनी है जो आवासीय भवनों, गगनचुंबी इमारतों, वाणिज्यिक संपत्तियों और होटलों सहित विभिन्न रियल एस्टेट परियोजनाओं का निर्माण करती है। इसी कंपनी ने बुर्ज खलीफा सहित अन्य प्रतिष्ठित संरचनाओं जैसे दुबई मॉल और दुबई फाउंटेन का भी निर्माण किया है।
कौन सी है भारत की सबसे ऊंची बिल्डिंग?
पैलेस रोयाल (Palais Royale) भारत की सबसे ऊंची बिल्डिंगों में से एक है, और यह मुंबई के वर्ली उपनगर में स्थित है। इसकी ऊंचाई 320 मीटर है। पैलेस रोयाल में 88 फ्लोर हैं जो भारत के विशेष आकर्षणों में से एक है। इसका मुख्य उद्देश्य रिजिडेंशियल और व्यापारिक स्पेस का प्रदान करना है। इन कार्यों के लिए यह एक आदर्श स्थल है।
पैलेस रोयाल का निर्माण
पैलेस रोयाल का निर्माण कार्य 2008 में शुरू हुआ था। गैर सरकारी संगठनों की याचिकाओं और निर्माण से जुड़ी अन्य कई कानूनी मुद्दों के कारण, निर्माण में कई बाधाएं आई। 2019 में, इस इमारत का मामला भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के सामने पेश किया गया और इसकी नीलामी हुई। इसके बाद, अधूरी साइट को “Honest Shelters” कंपनी ने खरीद लिया।
चुनौतियों का सामना
इस बिल्डिंग का निर्माण अद्वितीय और चुनौतीपूर्ण था। इसका काम शुरु होने के 5 साल बाद, 2012 में इसका टॉप फ्लोर तैयार हो गया था। हालांकि, इस प्रोजेक्ट के बिल्डर्स को शुरुआत में यह नहीं पता था कि इस बिल्डिंग का निर्माण इतनी मुश्किलों से जुड़ा होगा। 2012 में बनने वाले टॉप फ्लोर के साथ, इस प्रोजेक्ट के खिलाफ कई जनहित याचिकाएं दायर की गईं और मामला न्यायिक प्रक्रिया की ओर बढ़ गया। इसके परिणामस्वरूप, निर्माण पर रोक लग गई और प्रोजेक्ट की लागत हर दिन बढ़ती चली गई।
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इस प्रोजेक्ट के प्रमोटर, श्रीराम अर्बन इंफ्रा, आपातकाल में पड़ गए और कंपनी दिवालिया हो गई। कंपनी जिस लोन का इंडियाबुल्स से सहायता ले रही थी, वह लोन इंडियाबुल्स ने नीलम कर दिया, और नए प्रमोटर ऑनेस्ट शेल्टर प्राइवेट लिमिटेड बने। इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए करीब 3000 करोड़ रुपये का खर्च आया था । प्रोजेक्ट के निर्माण की चुनौतियों और संघर्षों के बावजूद, यह एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है जो अपने विशेष गुणवत्ता और महत्व के लिए जाना जाता है।