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कौन है पीएम की नई निजी सचिव निधि तिवारी, पहले डोभाल को करती थी रिपोर्ट

भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी रहीं निधि तिवारी को परमाणु ऊर्जा और सुरक्षा मामलों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संभालने का अनुभव है। विदेश नीति में उनकी गहरी भागीदारी रही और उन्होंने भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: भारत सरकार ने सोमवार को निधि तिवारी (Nidhi Tiwari) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निजी सचिव के रूप में तत्काल प्रभाव से नियुक्त किया। निधि तिवारी भारतीय विदेश सेवा (IFS) की 2014 बैच की अधिकारी हैं। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के आदेश के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने तिवारी की नियुक्ति को मंजूरी दी है।

तिवारी वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में उप सचिव के रूप में कार्यरत हैं। जारी की गई अधिसूचना के अनुसार निधि तिवारी निजी सचिव के रूप में क्लास 12 के वेतन मैट्रिक्स पर कार्यभार संभालेंगी जो अगले आदेश तक रहेगा।

निधि तिवारी कौन हैं?
निधि तिवारी, भारतीय विदेश सेवा (IFS) की 2014 बैच की अधिकारी हैं। वे 6 जनवरी 2023 से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में उप सचिव के रूप में कार्य कर रही हैं, पहले वे 2022 में प्रधान सचिव के रूप में नियुक्त हुई थीं। तिवारी वाराणसी के मेहमुरगंज से ताल्लुक रखती हैं, जो 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा क्षेत्र रहा है। उन्होंने 2013 में सिविल सेवा परीक्षा में 96वीं रैंक प्राप्त की थी। UPSC परीक्षा को क्लियर करने से पहले, वे वाराणसी में सहायक आयुक्त (वाणिज्य कर) के रूप में कार्यरत थीं।

विदेश मंत्रालय में कर चुकी हैं काम
PMO में शामिल होने से पहले, तिवारी ने विदेश मंत्रालय (MEA) में कार्य किया था, जहां उन्होंने निरस्त्रीकरण और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के विभाग में काम किया। उनके अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में गहरी विशेषज्ञता ने उन्हें PMO में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अनुमति दी, विशेष रूप से ‘विदेशी और सुरक्षा’ क्षेत्र में, जहां वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल को सीधे रिपोर्ट करती थीं।

महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संभालने का अनुभव
उन्हें बाहरी मामलों, परमाणु ऊर्जा और सुरक्षा मामलों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संभालने का अनुभव है। साथ ही राजस्थान राज्य से संबंधित जिम्मेदारियां भी निभाईं। विदेश नीति में उनकी गहरी भागीदारी ने उन्हें भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सहायक बनाया।

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