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क्यों चर्चा में हैं माधवी बुच, जानें सेबी प्रमुख बनने तक का सफर

माधवी बुच ने ICICI बैंक, ICICI सिक्योरिटीज और ICICI वेब ट्रेड लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियों में अपने करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारतीय बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के निर्माण में सहायक रही।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: पूर्व सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच एक बार फिर चर्चा में है। भारत की पहली महिला सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) प्रमुख माधवी पुरी बुच को अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग द्वारा हितों के टकराव के आरोपों का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्हें राजनीतिक दबाव का भी सामना करना पड़ा और पिछले सप्ताह उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने शुक्रवार को नियामक की प्रमुख के रूप में तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा किया और उनके बाद वित्त सचिव तुहिन कंता पांडे ने कार्यभार संभाला।

सेबी की पहली महिला प्रमुख बनी थीं माधवी
विगत 1 मार्च, 2022 को माधवी बुच का SEBI की चेयरपर्सन के रूप में चयन कर इतिहास रचा गया। इस नियुक्ति के कई कारण थे– सबसे पहले, वे SEBI की पहली महिला प्रमुख बनीं। दूसरा, वे इस प्रतिष्ठित पद पर आसीन होने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति रहीं। तीसरा, वे SEBI का नेतृत्व करने वाली पहली व्यक्ति थीं जिनका व्यावसायिक क्षेत्र से संबंध था।

माधवी पुरी बुच की जीवन यात्रा:
माधवी पुरी बुच का जन्म 1966 में मुंबई में हुआ था। उनके पिता कमल पुरी एक कॉर्पोरेट प्रोफेशनल थे, जबकि उनकी मां राजनीति शास्त्र में डॉक्टरेट एक शैक्षिक विद्वान थीं। माधवी ने 18 साल की उम्र में धवल बुच से सगाई की, जो यूनिलीवर कंपनी में निदेशक थे। 21 साल की उम्र में उनका विवाह हुआ। बाद में उन्होंने एक बेटे, अभय को जन्म दिया।

माधवी पुरी बुच के जीवन में एक महत्वपूर्ण घटना 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान घटी। उस समय वह ICICI बैंक में कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्यरत थीं और वे मुंबई के एक होटल में कई कॉर्पोरेट नेताओं के साथ फंसी हुई थीं। हालांकि, वह और उनके पति धवल बुच, जो उस समय हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के निदेशक थे, इस हमले में बिना किसी चोट के बाहर आ गए थे।

माधवी पुरी बुच की शिक्षा:
माधवी ने गणित और वित्त में गहरी रुचि विकसित की, जिसने उनके भविष्य के करियर के लिए नींव रखी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के फोर्ट कॉन्वेंट स्कूल से की और दिल्ली के कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी स्कूल में भी पढ़ाई की। उन्होंने दिल्ली के प्रसिद्ध सेंट स्टीफन कॉलेज से गणित में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और बाद में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद से MBA किया, जो उनकी शैक्षिक नींव को और मजबूत करता था।

माधवी पुरी बुच का करियर – ICICI बैंक से लेकर SEBI प्रमुख तक:
माधवी पुरी बुच ने 1989 में ICICI बैंक में अपने करियर की शुरुआत की, जहां उनकी कुशलता और समर्पण ने उन्हें बैंकिंग क्षेत्र में ऊंचे पदों तक पहुंचाया। ICICI बैंक में 12 वर्षों के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जैसे 1997 से 2002 तक विपणन और बिक्री विभाग की प्रमुख, 2002 से 2003 तक उत्पाद विकास की प्रमुख और 2004 से 2006 तक संचालन प्रमुख। 2006 में उन्हें ICICI बैंक में कार्यकारी निदेशक के रूप में पदोन्नत मिली।

ICICI बैंक छोड़ने के बाद, वह 2009 में ICICI सिक्योरिटीज की CEO बनीं और 2011 तक इस पद पर कार्यरत रही। इसके बाद, उन्होंने 2011 से 2013 तक सिंगापुर में ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में व्यापार विकास की प्रमुख के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य किया।

भारत लौटने के बाद, उन्होंने कई अन्य कंपनियों में भी नॉन-एग्जीक्यूटिव निदेशक के रूप में कार्य किया, जैसे मैक्स हेल्थकेयर, ज़ेन्सर टेक्नोलॉजीज, इनोवेन कैपिटल और गेबेलहॉर्न इन्वेस्टमेंट्स। उनके विविध अनुभव के कारण वो 2017 में SEBI के बोर्ड में पूर्णकालिक सदस्य (WTM) के रूप में नियुक्त हुई। यहां उन्होंने निगरानी और म्यूचुअल फंड्स जैसे महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो संभाले।

SEBI प्रमुख के रूप में उनकी नियुक्ति 1 मार्च, 2022 को हुई। उन्होंने इस पद पर अपने कार्यकाल के दौरान महत्वपूर्ण योगदान दिया और पूर्व SEBI प्रमुख अजय त्यागी को सफलता दी।

माधवी पुरी बुच का वेतन SEBI प्रमुख के रूप में:
जनवरी में, आर्थिक मामलों के विभाग ने माधवी पुरी बुच के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे थे। सरकार द्वारा जारी विज्ञापन के अनुसार, SEBI के नए अध्यक्ष का वेतन सरकार के सचिव के समकक्ष होता है, जो कि 5,62,500 रुपये प्रति माह (बिना घर और कार) है। इससे अनुमानित होता है कि बुच का वेतन भी लगभग 5,62,500 रुपये प्रति माह रहा होगा।

माधवी पुरी बुच का SEBI प्रमुख के रूप में कार्यकाल:
माधवी पुरी बुच का SEBI प्रमुख के रूप में कार्यकाल महत्वपूर्ण उपलब्धियों और चुनौतियों से भरा रहा। उन्होंने इक्विटी में तेजी से निपटान, FPI प्रकटीकरण में सुधार और 250 रुपये के SIP के माध्यम से म्यूचुअल फंड की पैठ बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए। हालांकि, उनके कार्यकाल के आखिरी वर्ष में हिंडनबर्ग और कांग्रेस पार्टी द्वारा आरोपों का सामना करना पड़ा और SEBI के कर्मचारियों द्वारा “टॉक्सिक वर्ककल्चर” के खिलाफ विरोध हुआ।

अगस्त 2024 में, हिंडनबर्ग रिसर्च ने उन पर हितों के टकराव का आरोप लगाया, जिसके कारण SEBI के प्रभावी तरीके से धोखाधड़ी और हेराफेरी के आरोपों की जांच में विफलता का आरोप लगा। हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने और उनके पति ने ऑफशोर कंपनियों में निवेश किया था। हालांकि, बुच ने इस आरोप को नकारते हुए कहा कि निवेश SEBI प्रमुख बनने से पहले किए गए थे।

इन विवादों के बावजूद, बुच ने ICICI बैंक, ICICI सिक्योरिटीज और ICICI वेब ट्रेड लिमिटेड जैसी प्रमुख कंपनियों में अपने करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो भारतीय बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र के निर्माण में सहायक रही।

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