फीचर डेस्कः शारदीय नवरात्र का शुक्रवार को नवां दिन है, जब हम मां दुर्गा की नवीं शक्ति, सिद्धिदात्री, की उपासना करते हैं। मां सिद्धिदात्री की पूजा से भक्तों को हर प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
मां सिद्धिदात्री का महत्व
मार्केण्डेय पुराण के अनुसार, मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्त अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व—ये आठ सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने भी मां सिद्धिदात्री की कृपा से सिद्धियां प्राप्त की थीं और इसी कारण उन्हें अर्द्धनारीश्वर का नाम मिला।
नवमी तिथि:
शुक्रवार, 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से शुरू होकर, शनिवार, 12 अक्टूबर को दोपहर 10 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा का आयोजन करें।
आराधना:
मां को मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी चढ़ाकर भक्ति भाव से पूजा करें।
मां सिद्धिदात्री का भोग
मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, हलवा, खीर और नारियल बहुत प्रिय हैं। नवमी के दिन इन चीजों का भोग लगाने से मां सिद्धिदात्री प्रसन्न होती हैं।
प्रिय रंग
मां सिद्धिदात्री को बैंगनी और सफेद रंग प्रिय हैं। इस दिन उन्हें सफेद या बैंगनी रंग के वस्त्र अर्पित करना शुभ होता है। महानवमी के अवसर पर बैंगनी या सफेद रंग के कपड़े पहनना भी बहुत लाभदायक माना जाता है।
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