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यस बैंक धोखाधड़ी मामला: करोड़ों की ठगी करने वाला मुख्य आरोपी मनीष गिरफ्तार, पत्नी पहले ही हो चुकी है गिरफ्तार

by Neha Verma
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दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing – EOW) ने यस बैंक धोखाधड़ी मामले में एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए मुख्य आरोपी मनीष को 28 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में मनीष की पत्नी और सह-आरोपी अनीता को पहले ही 27 अप्रैल 2024 को गिरफ्तार किया जा चुका है। दंपति पर आरोप है कि उन्होंने एक ही संपत्ति को कई बार अलग-अलग बैंकों के साथ गिरवी रखकर करोड़ों रुपये की ठगी की।

मामला क्या है?

मामले की शुरुआत नवंबर 2019 में हुई, जब मनीष और अनीता — जो एम/एस निटमैक इंडिया लिमिटेड के निदेशक हैं — ने यस बैंक की राजौरी गार्डन शाखा से 3 करोड़ रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के लिए आवेदन किया। इसके लिए उन्होंने द्वारका, सेक्टर-8 स्थित एक संपत्ति को अनीता के नाम पर दिखाते हुए सुरक्षा के रूप में प्रस्तुत किया और दावा किया कि इस पर कोई पूर्व ऋण नहीं है।

यस बैंक ने दस्तावेजों की वैधता पर भरोसा करते हुए ऋण स्वीकृत कर दिया। लेकिन कुछ समय बाद जब दंपति ऋण चुकाने में विफल रहे और उनके पते पर संपर्क नहीं हो सका, तो बैंक को संदेह हुआ।

जांच में हुआ बड़ा खुलासा

जांच के दौरान यह सामने आया कि वही संपत्ति पहले ही ड्यूश बैंक, कनॉट प्लेस शाखा के साथ 2.7 करोड़ रुपये के ऋण के लिए गिरवी रखी जा चुकी थी। इसके अलावा, गिरवी के लिए प्रस्तुत किया गया बिक्री विलेख (सेल डीड) भी जाली पाया गया।

ईओडब्ल्यू ने यस बैंक की शिकायत पर 27 दिसंबर 2022 को मामला दर्ज किया। पुलिस ने संबंधित उप-रजिस्ट्रार कार्यालय से संपत्ति के असली दस्तावेज जुटाए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि बिक्री विलेख पर मौजूद उप-रजिस्ट्रार के हस्ताक्षर भी नकली थे।

ठगी का तरीका

आरोपियों ने धोखाधड़ी की एक सुनियोजित योजना बनाई थी। उन्होंने एक ही संपत्ति के कई जाली बिक्री विलेख तैयार किए और उसे विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ गिरवी रखकर ऋण सुविधा प्राप्त की।

जांच में यह भी पता चला कि उन्होंने उप-रजिस्ट्रार के जाली हस्ताक्षर, पते के प्रमाण-पत्र, और अन्य वित्तीय दस्तावेजों की नकल कर उन्हें असली साबित करने की कोशिश की। इसके बाद, इन ऋणों की राशि का दुरुपयोग किया और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए फरार हो गए।

आरोपी की पृष्ठभूमि

पुलिस के अनुसार, मनीष का जन्म नई दिल्ली के तीन मूर्ति मार्ग क्षेत्र स्थित सरकारी कर्मचारियों के क्वार्टर में हुआ था। उसके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। वर्ष 2018 में, मनीष और अनीता ने एम/एस निटमैक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी खरीदी और उत्तम नगर के चाणक्य प्लेस इलाके में कपड़ों की विनिर्माण इकाई शुरू की।

व्यवसाय को बढ़ाने के नाम पर उन्होंने बैंकों से धोखाधड़ी कर ऋण लिया और फिर उन्हें चुकाने में असफल रहे। जब बैंक ने वसूली की प्रक्रिया शुरू की तो वे फरार हो गए।

आगे की कार्रवाई

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अमृता गुगुलोथ ने बताया कि मनीष को भगोड़ा अपराधी घोषित करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी गई थी। अब जबकि दोनों प्रमुख आरोपी पुलिस हिरासत में हैं, तो मामले के अन्य पहलुओं की भी गहराई से जांच की जा रही है।

जांच अधिकारी यह भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इस मामले में कोई अन्य बैंक, संस्था या व्यक्ति शामिल था। पुलिस का कहना है कि जल्द ही और गिरफ्तारियां संभव हैं।

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