नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रॉपर्टी के पावर ऑफ अटॉर्नी को लेकर नया नियम बना दिया है। इसके तहत अब पावर ऑफ अटॉर्नी वाली संपत्ति के बेचने पर 7 प्रतिशत स्टांप शुल्क देना होगा। यह फैसला उन व्यक्तियों पर लागू होगा, जिन्होंने बाहरी व्यक्ति से अपनी संपत्ति को बेचने में सहायता ली थी। यह निर्णय भ्रष्टाचार और संपत्ति के सौदों को रोकने के उद्देश्य से लिया गया है।
योगी सरकार ने पावर ऑफ अटॉर्नी पर लिया बड़ा फैसला
योगी सरकार ने प्रॉपर्टी को लेकर को जो नया निर्णय लिया है, उसके तहत अब करोड़ों रुपये की संपत्ति को केवल 100 रुपये के स्टांप पर पावर ऑफ अटॉर्नी लेकर नहीं बेचा जा सकता है। अब पॉवर ऑफ अटार्नी वाली संपत्ति पर व्यक्ति को सर्किल रेट का 7 फीसदी स्टांप शुल्क देना होगा, लेकिन यह नया नियम केवल बाहरी व्यक्तियों पर लागू होगा। अगर आपका संपत्ति के मालिक से खून का रिश्ता है, तो आप केवल 5000 रुपये स्टांप शुल्क देकर संपत्ति बेच सकते हैं।
स्टांप शुल्क की चोरी रोकने को लिया गया यह निर्णय
मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी, जिसमें यह फैसला लिया गया। इस मामले को लेकर स्टांप तथा न्यायालय शुल्क पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल ने बताया कि, पावर ऑफ अटॉर्नी को स्टांप शुल्क से बाहर रखा गया है। हमलोगों ने देखा कि शहर से गांव तक हर जगह पावर ऑफ अटार्नी की मदद से संपत्ति को खरीदने और बेचने का धंधा चलाया जा रहा है। इसकी मदद से बिल्डर और प्रॉपर्टी डीलर स्टांप शुल्क की चोरी कर रहे हैं। इसी को रोकने के लिए यह फैसला हमलोगों ने लिया है।
पावर ऑफ अटॉर्नी क्या होता है?
पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney) एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें एक व्यक्ति (डोनर) दूसरे व्यक्ति (एजेंट या अटॉर्नी) को अपनी संपत्ति और कानूनी मामलों को प्रबंधित करने और निर्णय लेने का अधिकार देता है। इसका मतलब होता है कि एजेंट डोनर की ओर से कानूनी क्रियाएं कर सकता है, जैसे कि संपत्ति बेचना, खरीदना, वित्तीय प्रबंधन करना या किसी भी कानूनी मामले में डोनर की ओर से निर्णय लेना।
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