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Yudhra Review: सिद्धांत की फिल्म में राघव- गजराज ने जीता दिल, जानें कहां मात खाई ‘युध्रा’

युध्रा को एंगर इश्यूज हैं, जिसका असर उसकी पर्सनल लाइफ पर काफी बुरा पड़ता है. कहानी आगे बढ़ती है और फिर युध्रा की मुलाकात रहमान (राम कपूर) से होती है.

by Priya Shandilya
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फिल्म: ‘युध्रा’
स्टारकास्ट: सिद्धांत चतुर्वेदी, राघव जुयाल, मालविका मोहनन, गजराज राव, राम कपूर, राज अर्जुन
डायरेक्टर: रवि उद्यावर
रेटिंग्स: 2 स्टार
अवधि: 142 मिनट
कहां देखें: थिएटर

ये युध्रा की कहानी है, युध्रा यानी सिद्धांत चतुर्वेदी, जिसके पिता एक ईमानदार पुलिस अफसर थे. एक कार एक्सीडेंट में माता-पिता की मौत के बाद कार्तिक (गजराज राव) पालते-पोसते हैं. युध्रा को एंगर इश्यूज हैं, जिसका असर उसकी पर्सनल लाइफ पर काफी बुरा पड़ता है. कहानी आगे बढ़ती है और फिर युध्रा की मुलाकात रहमान (राम कपूर) से होती है. जो युध्रा के पिता का दोस्त है, जैसे कार्तिक हैं. अब रहमान, युध्रा को उसके पिता के उस काम को खत्म करने के लिए कहता है, जो उस वक्त नहीं हो पाया था. इसके बाद युध्रा, ड्रग माफिया फिरोज (राज अर्जुन) को खत्म करने के लिए मैदान में उतरता है. हालांकि इस बीच काफी ट्विस्ट आते हैं और फिल्म का एंड भी एक ट्विस्ट से होता है.

एक्टिंग और डायरेक्शन:
बात एक्टिंग की करें तो सिद्धांत का काम औसत दिख रहा है. ऐसा नहीं कह सकते कि उन्होंने कुछ अलग ही बहुत शानदार काम किया है लेकिन बुरा भी नहीं है. अब चूंकि ये फिल्म कोविड टाइम्स के ईर्द-गिर्द शूट हुई है तो इसे कहीं न कहीं सिद्धांत का पुराना काम भी कह सकते हैं. और करीब हर एक्टर वक्त के साथ धीरे धीरे परफेक्ट होता है. लेकिन दूसरी ओर राघव जुयाल ने शानदार काम किया है और वो उभरकर स्क्रीन पर आते हैं. वहीं गजराज राव ने फिर साबित किया है कि वो कमाल के एक्टर हैं. इसके अलावा राम कपूर भी कैरेक्टर के साथ इंसाफ करते दिखते हैं. लेकिन राज अर्जुन थोड़ा ऑफ दिखते हैं. जिस खूबसूरती के साथ उनका कैरेक्टर शुरू होता है, कहानी की वजह से वो धीरे धीरे फीका पड़ जाता है. रवि उद्यावर का डायरेक्शन भी औसत है.

क्या कुछ है खास और कहां खाई मात:
फिल्म का एक्शन अच्छा है. एक ओर जहां कुछ सीन्स काफी नए लगते हैं तो दूसरी ओर कई सीन्स को देखकर आपको हॉलीवुड ही नहीं बल्कि बॉलीवुड फिल्में की भी याद आ जाती हैं. फिल्म के दोनों गानें जबरदस्ती जोड़े लगते हैं और एक गाना एंड क्रेडिट है. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है लेकिन एडिटिंग कमजोर है. फिल्म कई मौके पर बोर करती है और जबरन खींची हुई महसूस करवाती है.

देखें या नहीं: कुल मिलाकर अगर आपको नेशनल सिनेमा डे के मौके पर 99 रुपये में ये फिल्म थिएटर में देखने को मिल रही है तो देखी जा सकती है. वरना जब अमेजन प्राइम वीडियो पर आएगी, तब भी इसे देख सकते हैं. इसके लिए मोटा पैसा खर्च न ही करें तो बेहतर होगा.

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