रांची : मानसून की बेरूखी का दंश इस साल झारखंड के किसानों को झेलना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि जामताड़ा समेत प्रदेश के 16 जिले सूखे की चपेट में हैं। ये वैसे जिले हैं, जिनमें सामान्य से 30 प्रतिशत तक कम बारिश दर्ज की गई है। इन जिलों मानसून की बारिश धान रोपनी का समय तकरीबन खत्म होने के बाद हुई है। पूरे झारखंड में मात्र साहिबगंज ही एक ऐसा जिला रहा है, जहां सामान्य से नौ फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। सिमडेगा व गोड्डा जिले में मानसून की बारिश किसानों के लिए नेमत बन बरसी है और इन दोनों जगहों पर सामान्य से कुछ कम बारिश दर्ज की गई है।
प्रदेश के पांच जिलों में ही मानसून की औसत बारिश :-
विभागीय आंकड़ों के अनुसार मानसून की बेरूखी का आलम यह है कि पांच जिलों को छोड़ 16 जिलों में बारिश के लिए हाहाकार मचा हुआ है। जबकि तीन जिलों की हालत में थोड़ी सुधार है। प्रदेश में मानसून की मेहरबानी साहिबगंज, गोड्डा, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम और पूर्वि सिंहभूम पर रही है। इनमें भी गोड्डा और साहिबगंज को छोड़ औसत से 20 फीसदी तक कम बारिश दर्ज की गई है।
जामताड़ा समेत हालात यह हैं कि पूरे झारख्ंड में मानसून पर होने वाली सामान्य बारिश से इस साल 36 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। सामान्यतया मानसून पर पूरे झारखंड में औसत 778.3 के अनुपात में मात्र 610 एमएम बारिश हुई है। सबसे बुरा हाल जामताड़ा समेत धनबाद, गिरिडीह, चतरा, हजारीबाग और लोहरदगा जिले का है। इनमें से ज्यादातर जिले वैसे हैं जहां औसत से 47 फीसदी तक कम बारिश दर्ज की गई है।
मात्र दस फीसदी ही हो पाई धनरोपनी, बारिश के अभाव में दलहन व तिलहन की भी कम है उम्मीद :
जामताड़ा के 52 हजार हेक्टेयर भू-भाग पर धान की पैदावार होती है और यह यहां के किसानों की मुख्य पैदावार है। लेकिन पिछले दिनों हुई बारिश के बावजूद कुल भू-भाग के मात्र 10 फीसदी फीसदी भू-भाग पर ही धनरोपनी हो पाई है। जबकि जामताड़ा में मकई का कुल रकबा 15700 हेक्टेयर लक्ष्य निर्धारित है और मात्र 20 फीसदी भू-भाग पर ही इसे लगाया जा सका। वहीं, दलहन का लक्ष्य 16700 हेक्टेयर, तिलहन 860 हेक्टेयर और मोटा अनाज 1690 हेक्टेयर पर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेकिन बारिश के अभाव में इनकी पैदावार भी होने के कम ही अनुमान हैं।
मानसून गुजरा बेअसर, अब झेलना होगा सूखे की मार:-
मौसम विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार अगले पांच दिनों के दौरान जामताड़ा में मानसून सक्रियता अब नजर नहीं आ रही है। ऐसे में अब इसकी भरपाई होने के कम आसार नहीं के बराबर हैं। भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र रांची के डायरेक्टर अभिषेक आनंद ने बताया कि अबतक जामताड़ा में हुई बारिश औसत से तकरीबन 48 फीसदी कम हुई है। ऐसे में इस साल किसानों को धान के अलावा अन्य फसलों की पैदावार का विकल्प तलाशना होगा। अब होने वाली बारिश से धान जैसी लग चुकी फसलों को ही कुछ लाभ मिलेगा और भू-जल स्तर में ही इजाफा हो सकता है।
जोकि पूर्णकालिक दृष्टिकोण से लाभप्रद साबित होगाअब मोटे अनाजों की पैदावार पर भी आफत:-
जामताड़ा केवीके की वरीय कृषि विज्ञानी सुप्रिया सिंह ने बताया कि अब धान की पैदावार की गुंजाइशें लगभग खत्म हो चुकी हैं। तिलहन और दलहन की पैदावार पर अब किसानों को निर्भर रहना होगा। लेकिन यह मानसून के रूख को देखते हुए इनकी पैदावार में भी पानी की किल्लत का सामना तय है। जिले में 52000 हेक्टेयर भू-भाग पर धान की खेती होती है। लेकिन इस साल बारिश कम होने की वजह से किसानों को इसकी भरपाई के लिए अन्य फसलों को उगाने के लिए तैयारी करनी पड़ेगी।
झारखंड के 16 जिले भीषण सूखे की चपेट में
अबतक जिलेवार हुए बारिश के आंकड़े
जिला – अब तक हुई बारिश – इतनी होनी थी – कितनी कम हुई
बोकारो – 490.2 – 697.6 – -30
चतरा – 271.9 – 721.8 – -62
देवघर – 508.8 – 735.1 – -31
धनबाद – 472.5 – 802 – -41
दुमका – 526 – 770.8 – -32
पूर्वी सिंहभूम – 668.2 – 835.6 – -20
गढ़वा 457.5 – 702.3 – -35
गिरिडीह – 372.6 – 734.1 – -49
गोड्डा – 643.8 – 674.4 – -5
गुमला – 406.6 – 808.8 – -50
हजारीबाग – 370.1 – 797.8 – -54
जामताड़ा – 421.4 – 810.7 – -48
कोडरमा – 333.4 – 659.8 – -49
लातेहार – 392 – 790.2 – -50
लोहरदगा – 401.6 – 762.5 – -47
पाकुड़ – 536.7 – 878.2 – -39
पलामू – 385.9 – 643.7 – -40
रामगढ़ – 453.8 – 784.5 – – 42
रांची – 487.2 – 794.8 – -39
साहिबगंज – 926.8 – 863 – 7
सराइकेला खरसावां – 611.4 – 772.8 – -21
सिमडेगा – 900.8 – 1000.5 – -10
पश्चिमी सिंहभूम – 610 – 786.4 – -22
झारखंड- 501.8 778.3 – 36 ।
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