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गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है लालबाजार गांव, यहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं छठ पूजा

by Rakesh Pandey
हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं छठ पूजा
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खोरीमहुआ,गिरिडीह। लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की रंग में पूरा देश भक्तिमय हो गया है। महापर्व की आस्था ऐसी है कि जाति और धर्म की दीवार आड़े नहीं आती। ऐसा ही एक गांव है गिरिडीह जिले के धनवार प्रखंड का लालबाजार, जो आपसी भाईचारे की डोर को मजबूत कर रहा है. दरअसल, मुस्लिम बहुल लालबाजार गांव में दोनों समुदाय के लोग मिलजुलकर छठ मनाते हैं। इस गांव में करीब दो सौ हिंदू परिवार के घर हैं। इस गांव की खासियत यह है कि यहां दोनों समुदाय के लोग अन्य तीज-त्योहारों की तरह छठ महापर्व भी धूमधाम से मनाते हैं। स्थानीय ग्रामीणों की मानें, तो पहले यहां छठ पूजा को लेकर इतना उत्साह नहीं था।

हिंदू-मुस्लिम मिलकर मनाते हैं छठ पूजा

गांव में रहने वाले हिंदू परिवार के लोग बेहद साधारण तरीके से पूजा-अर्चना करते थे। लेकिन, बदलते समय के साथ जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता आ रही है, छठ महापर्व की भव्यता बढ़ती जा रही है। गांव में अब सभी समाज के लोग उत्साह के साथ छठ पर्व मनाते हैं। इसमें मुस्लिम समुदाय के लोग भी बढ़चढ़कर सहयोग करते हैं। फिलहाल, छठ घाट से लेकर करीब डेढ़ से दो किलोमीटर दूर तक लाइटिंग की व्यवस्था रहती है। छठ घाट को केले के पेड़ से सजाया जाता है। साथ ही जगह-जगह तोरणद्वार लगाए जाते हैं। बड़ी संख्या में छठव्रती कर्बला के बगल में स्थित तालाब में अर्घ्य देने के लिए पहुंचते हैं।

घर-घर जाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं मुस्लिम समुदाय के लोग
लालबाजार गांव के मुखिया सजरुल अंसारी, पूर्व मुखिया वारिश अंसारी समेत रफीक अंसारी, सद्दाम अंसारी, इलियास अंसारी, दानिश अंसारी, संतोष विश्वकर्मा, संजय राणा, नवीन राणा, अशोक राणा, राजेश दास, लखन दास आदि ने बताया कि गांव में होने वाली छठ पूजा गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है। यहां दोनों समुदाय के लोग बढ़-चढ़ कर एक दूसरे के पर्व-त्योहार में हिस्सा लेते हैं और मदद भी करते हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि लोक आस्था के महापर्व छठ में साफ-सफाई से लेकर पूजा-पाठ तक में मुस्लिम समुदाय के लोग सहयोग करते हैं। यहीं नहीं, अर्घ्य के समय छठ घाट पर मौजूद भी रहते हैं। गांव के रफीक अंसारी, मुस्ताक अंसारी, साबिर अंसारी आदि ने बताया कि भले ही हम लोग छठ पूजा नहीं करते हैं, लेकिन हिंदुओं भाइयों में छठ पूजन सामग्री, कपड़े बांटने के साथ हरसंभव आर्थिक सहायता भी करते हैं। पूजा के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग हिंदू भाइयों के घर जाकर प्रसाद भी ग्रहण करते हैं।

सरताज अंसारी, सरफराज अंसारी ने बताया कि संतान प्राप्ति को लेकर हमने छठ पर मन्नत मांगी थी। मन्नत पूरी होने पर पांच साल से छठ पूजा में फल-रुपये आदि चढ़ा रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना कि धनवार प्रखंड का लालबाजार ही एक ऐसा गांव है, जहां मात्र दो सौ की संख्या में हिंदू धर्म के लोग रहते हैं। इसके बावजूद पूरे उत्साह के साथ सभी त्योहार मनाते हैं।

किसी त्योहार में नहीं बजता लाउडस्पीकर
हालांकि, गांव के तालाब में पक्का छठ घाट नहीं बने होने से छठव्रतियों को अर्घ्य देने में काफी परेशानी उठानी पड़ती है। लोगों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों से छठ घाट बनवाने की मांग की है।
इस गांव की एक और खास बात यह है कि यहां किसी भी त्योहार में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जाता है। गांव के लोगों का कहना है कि पहले पूरे गांव में लाइटिंग के साथ-साथ साउंड और डीजे आदि की भी व्यवस्था होती थी, लेकिन विगत कुछ साल पहले छठ पूजा की रात ही अज्ञात वाहन की ठोकर से एक व्यक्ति की मौत हो गई। दरअसल, लाउडस्पीकर की तेज आवाज के चलते किसी को भी घटना की जानकारी नहीं हो पाई। सुबह में लोगों ने सड़क पर शव पड़ा देखा। उस दिन से दोनों समुदायों के लोगों ने सड़क किनारे साउंड नहीं बजाने का फैसला लिया। तब से शांतिपूर्वक हर त्योहार मनाया जाता है।

बयान ::
लालबाजार गांव में छठ महापर्व सामाजिक सौहार्द और आपसी भाईचारे की मिसाल है। यहां दोनों समुदायों के लोग मिलजुलकर छठ पूजा का आयोजन करते हैं। साथ ही हर त्योहार में मिलजुल कर एक-दूसरे का सहयोग करते हैं।

सजरुल अंसारी, मुखिया, लालबाजार गांव

 

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