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गुरमीत राम रहीम सिंह फिर जेल से फर्लो पर आएंगे बाहर, जानें क्या होता है पैरोल और फर्लो में अंतर?

by Rakesh Pandey
गुरमीत राम रहीम सिंह फिर जेल से फर्लो पर आएंगे बाहर
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सेंट्रल डेस्क: कई तरह के विवादों के कारण चर्चा में रहे राम रहीम सिंह एक बार फिर से चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। दरअसल, डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को फिर से जेल से 21 दिनों के लिए बाहर जाने का अधिकार मिला है। उन्हें फर्लो के तहत इस अवधि के लिए बाहर जाने की इजाजत मिली है। राम रहीम सिंह का नाम रेप केस के चलते चर्चा में रहा है, और इस समय उनकी पैरोल की मुद्दत एक बार फिर से चर्चा में है। लेकिन इस बार उनका बाहर आना फर्लो से संभव हो सका है।

गुरमीत राम रहीम का आश्रम बागपत में
राम रहीम सिंह जेल से बाहर आने के बाद यूपी के बागपत जिले में स्थित अपने आश्रम में रहेंगे। इस आश्रम का संचालन डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों द्वारा किया जाता है और यहां विभिन्न धार्मिक और सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

पैरोल और फर्लो में अंतर
अगर आप भी उनमें से हैं जिन्हें पैरोल और फर्लो में अंतर नहीं पता है तो चलिए आज हम आपको विस्तार में इन दोनों के बीच का अंतर समझते हैं।

पैरोल
पैरोल एक विशेष अनुमति है, जिससे व्यक्ति जेल से अनुमति प्राप्त करके अपने आश्रम पर जा सकता है, लेकिन इस समय को सकारात्मक तरीके से बिताने के लिए उसे विशेष निर्देशों का पालन करना होता है। यह उन व्यक्तियों को प्रदान की जाती है जिन्होंने अपने आचरण और आत्मवृत्ति में सुधार किया है और जो समाज में पुनर्निर्माण के माध्यम से सहायक बन सकते हैं।

फर्लो
फर्लो का मतलब होता है संक्षिप्त ‘आज़ादी’। इसकी सुविधा भी जेल से बाहर जाने के लिए मिलती है। इसमें व्यक्ति को जेल से बाहर छूट मिलती है बिना किसी निगरानी के, लेकिन इसमें विशेष निर्देशों का पालन करना होता है। यह एक स्वतंत्र अवसर होता है, जिसमें व्यक्ति को समाज में पूर्ण स्वतंत्रता होती है और वह अपने चयन के मुताबिक गतिविधियों में भाग ले सकता है।

दोनों के लिए क्या हैं नियम?
पैरोल में व्यक्ति को निगरानी में रखा जाता है और उसे विशेष शर्तों का पालन करना होता है, जबकि फर्लो में व्यक्ति स्वतंत्र होता है लेकिन वह भी निर्दिष्ट निर्देशों का पालन करता है। पैरोल का मुख्य उद्देश्य अपराधियों को समाज में दोबारा समाहित करना है, जबकि फर्लो व्यक्ति को नए आरंभ के लिए स्वतंत्रता देता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, समाज में सहयोग करने का एक मौका भी पैदा हो सकता है जिससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन हो सकता है।

गुरमीत राम रहीम के पैरोल की इतिहास
यह नहीं पहली बार है कि गुरमीत राम रहीम सिंह को जेल से बाहर आने की छूट मिली है। इन्हें पहले भी जनवरी में 40 दिनों की पैरोल मिली थी, जिस पर विवाद बढ़ा और सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था। पैरोल के दौरान उन्होंने अपने आश्रम में शिष्यों के साथ विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया था।

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