नई दिल्ली : भारत के लिए एक और अच्छी खबर है। उम्मीद है कि नए साल के पहले सप्ताह में देशवासियों को यह खुशी मिल जाए। कुछ इसी मिशन के साथ देश
के बड़े-बड़े वैज्ञानिक दिन-रात जुटे हुए हैं। जी हां। भारत के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। दरअसल, चंद्रयान के सफल परीक्षण के बाद वैज्ञानिकों ने सूर्य के रहस्यों का अध्ययन करने के आदित्य एल1 को दो सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया था। 15 लाख किमी की यात्रा पूरी कर “आदित्य” सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 की पास की कक्षा में पहुंचेगा। पांच साल के मिशन के दौरान एल1 से ही सूर्य का अध्ययन करेगा।
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इसको के अध्यक्ष ने कहा?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 अपने लक्ष्य के करीब पहुंच गया है। आदित्य अब अपनी अंतिम चरण में है। आदित्य के लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल-1) में प्रवेश करने की प्रक्रिया नए साल सात जनवरी, 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है।
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तैयारी जोर-शोर से चल रही
आदित्य एल1 बिंदु में प्रवेश की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। एल1 (लैग्रेंज प्वाइंट) अंतरिक्ष में स्थित वह स्थान है, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल समान होता है। इसका उपयोग अंतरिक्षयान द्वारा ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जाता है। सोलर-अर्थ सिस्टम में पांच लैग्रेंज प्वाइंट्स हैं।
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15 लाख किमी की यात्रा पूरी कर कक्षा में पहुंचेगा आदित्य एल1
चंद्रयान के सफल परीक्षण के बाद दो दिसंबर को आदित्य एल1 को लांच किया गया था, जो 15 लाख किमी की यात्रा पूरी कर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के एल1 की पास की कक्षा में पहुंचेगा। पांच साल के मिशन के दौरान एल1 से ही सूर्य का अध्ययन करेगा।
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आदित्य में सात पेलोड लगे हैं
‘आदित्य’ में सात पेलोड लगे हैं। मिशन के तहत सौर वायुमंडल (क्रोमोस्फेयर और कोरोना) की गतिशीलता, सौर कंपन या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’(सीएमई), पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष के मौसम का अध्ययन किया जाएगा। जिस तरह पृथ्वी पर भूकंप आते हैं, उसी तरह सौर कंपन भी होते हैं जिन्हें कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। सौर कंपन कभी-कभी उपग्रहों को नुकसान पहुंचाते हैं। सूर्य के अध्ययन से अन्य तारों के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी।
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