हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर : कहते हैं कि डॉक्टर धरती पर साक्षात भगवान का स्वरूप होते हैं। (MGM Thalassemia) जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों ने भी थैलेसीमिया से पीड़ित एक सात वर्षीय बच्ची का सफल ऑपरेशन कर नई जिंदगी दी है। दरअसल, पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड के हल्दीपोखर निवासी प्रिया मंडल (7) थैलेसीमिया रोग से ग्रस्त है। इसके चलते उसके शरीर का तिल्ली बढ़कर तीन गुना बड़ा यानी 40 सेंटीमीटर का हो गया।
जबकि, तिल्ली का सामान्य आकार 6 से 13 सेंटीमीटर के बीच होता है। बच्ची की तिल्ली बढ़ने की वजह से उसकी परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। उसके परिजन इलाज के लिए अस्पतालों का चक्कर काटने के लिए मजबूर थे। जब वे एक निजी नर्सिंग होम में उसे लेकर पहुंचे तो वहां डॉक्टरों ने बोला कि यह काफी जटिल केस है और ऑपरेशन में करीब डेढ़-दो लाख रुपए लग सकता है। हताश होकर बच्ची के माता-पिता वापस घर लौट गए।
MGM Thalassemia: इस तरह बच गई बच्ची की जान
कुछ दिन पहले बच्ची के पेट में अचानक तेज दर्द हुआ। परिजन उसे लेकर एमजीएम अस्पताल पहुंचे। यहां पर जांच हुई तो पता चला कि तिल्ली का आकार तीन गुना बढ़ गया है। इसके बाद डॉ. दिवाकर हांसदा की यूनिट में सर्जन डॉ. सरवर आलम ने सफल सर्जरी की। इस दौरान डॉ. अज्जु कुमार, डॉ. शुभम व डॉ. बॉबी ने भी काफी मदद की। डॉ. सरवर आलम ने कहा कि एमजीएम अस्पताल में बड़ी-बड़ी सर्जरी मुफ्त में होती है। ऐसे में मरीज यहां आएं और नि:शुल्क इलाज कराएं।
थैलेसीमिया जेनेटिक बीमारी
डॉ. सरवर आलम ने कहा कि थैलेसीमिया एक जेनेटिक बीमारी है। यह रोग व्यक्ति के शरीर की सामान्य हीमोग्लोबिन उत्पादन करने की क्षमता को प्रभावित करता है। अगर किसी व्यक्ति को थैलेसीमिया है, तो उसका शरीर कम हीमोग्लोबिन प्रोटीन का उत्पादन करता है। वहीं, तिल्ली आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती है और पुरानी या क्षतिग्रस्त रक्त कोशिकाओं जैसी अवांक्षित सामग्री को फिल्टर करती है। थैलेसीमिया में अक्सर बड़ी संख्या में लाल रक्त कोशिकाओं के विनाश होने के कारण तिल्ली का आकार बड़ा हो जाता है।