खेल डेस्क। भारतीय कुश्ती पूरी तरह विवादों से बाहर नहीं निकल पा रही है। भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया (Bajrang Punia) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री आवास के बाहर सड़कर पर अपने पद्मश्री पुरस्कार को छोड़ दिया। इस घटना को लेकर खेल जगत में हलचल मच गई है। Bajrang Punia के इस फैसले के बाद से कई लोग अपने रिएक्शंस दे रहे हैं।
भारतीय कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष ने कहा- दुर्भाग्यपूर्ण
Bajrang Punia की ओर से लिए गए इस बड़े निर्णय के बाद भारतीय कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष देवेंद्र कादियान ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया और बताया कि Bajrang Punia हमारे देश के स्टार खिलाड़ी हैं, जिन्होंने विदेशों में भारत का मान सम्मान बढ़ाया है।
इस निर्णय ने पहलवानों की तरफ से स्पोर्ट्स को लेकर कई सवालों को पैदा कर दिए हैं। वहीं जनता के मन में भारतीय पहलवान Bajrang Punia कौन हैं और उनसे जुड़े काफी सवाल हैं, आइए जानते है Bajrang Punia के बारे में विस्तार से।
Bajrang Punia कौन हैं?
Bajrang Punia ने घुटने की चोट से जूझने के बावजूद टोक्यो में अपने पहले ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर अपने सपनों को उड़ान दी। इस भारतीय पहलवान Bajrang Punia का जन्म 26 फ़रवरी 1994 को हुआ। हरियाणा के झज्जर में साधारण से परिवार में जन्मे और पले-बढ़े Bajrang Punia के पास क्रिकेट या बैडमिंटन जैसे खेलों को अपनाने के लिए पैसे नहीं थे, क्योंकि इन खेलों के लिए महंगे उपकरणों की जरूरत होती थी।
उनके शहर में बच्चे कबड्डी और कुश्ती जैसे फ्री-हैंड खेलों को पसंद करते थे और ‘अखाड़ा’ (कुश्ती क्षेत्र) वहां काफी लोकप्रिय था।
अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया था पहला गोल्ड
बजरंग पुनिया ने 2018 के एशियन खेलों में पुरुषों की 65 किलोग्राम वर्ग स्पर्धा के फाइनल में जापान के पहलवान तकातानी डियाची को एकतरफा मुकाबले में 11-8 से शिकस्त दी। एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले भारत के 9वें पहलवान हो गए। बता दें कि Bajrang ने अपना यह गोल्ड मेडल पूर्व प्रधानमंत्री स्व॰ अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया।
योगेश्वर दत्त से सीखीं बारीकियां
इस भारतीय पहलवान ने स्थानीय अखाड़े में 14 साल की उम्र में ही प्रशिक्षण शुरू कर दिया और जल्द ही उन्हें साथी ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त से मिलवाया गया। योगेश्वर दत्त की देख-रेख में बजरंग ने कुश्ती से जुड़ी कई बारीकियां सीखीं।
Bajrang Punia पर देवेंद्र कादियान का रिएक्शन
Bajrang Punia के इस बड़े कदम पर भारतीय कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष देवेंद्र कादियान ने कहा कि बजरंग पुनिया उनके छोटे भाई जैसे हैं। उन्होंने बताया कि मुझे अंदाजा नहीं था कि वो ऐसा कदम उठा सकते हैं। उसको इतना हताश होने की आवश्यकता नहीं थी। उन्हें यह फैसला सोच समझ कर लेना चाहिए था।
बृजभूषण के मामले में कादियान ने साधी चुप्पी
हालांकि, इस दौरान बृजभूषण शरण पर लगे आरोपों के संबंध में सवाल पर कादियान ने चुप्पी साधी और उन्होंने यहां तक कहा कि इस विवाद को यहीं छोड़कर देश की जनता और मीडिया को कुश्ती के उत्थान की बात करनी चाहिए। इस विवाद को खत्म करने के लिए पूरा भारतीय कुश्ती संघ जल्द ही कदम उठाएगा।
इस विवाद के अंत करने के लिए भारतीय कुश्ती संघ ने शीघ्र ही एक महत्वपूर्ण मीटिंग बुलाने का निर्णय लिया है और कुश्ती के क्षेत्र में प्रगति के लिए कठिन कदम उठाए जाएंगे।
कर्तव्य पथ के पास फुटपाथ पर रखा पद्मश्री
Bajrang Punia ने अपना पद्म श्री पुरस्कार कर्तव्य पथ के पास फुटपाथ पर रखा और कहा की वह इस पुरस्कार के हकदार नहीं हैं। दरअसल, Bajrang Punia ने भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में बृजभूषण शरण सिंह के विश्वस्त संजय सिंह के अध्यक्ष बनने के विरोध में अपना पद्मश्री मध्य दिल्ली में कर्तव्य पथ के पास फुटपाथ पर रख दिया है। हम अपनी बेटियों और बहनों के लिए लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि मैं उन्हें न्याय नहीं दिला सका।
पुनिया ने कहा- घर नहीं ले जा सकता यह सम्मान
इसके कारण, मुझे लगता है कि मैं इस सम्मान के लायक नहीं हूं। मैं यहां अपना पुरस्कार लौटाने आया था, हालांकि, मैं नहीं मिल सका पीएम के साथ क्योंकि मेरे पास अपॉइंटमेंट नहीं था। उन्होंने आगे कहा की मैं अपना पुरस्कार लिखे हुए पत्र पर रख रहा हूं और मैं इसे घर नहीं ले सकता। बता दें कि Bajrang Punia, बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर पहलवानों के विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे।
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