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उत्तर पश्चिमी दिशा से आ रही ठंडी हवाओं ने झारखंड में बढ़ाई कनकनी

by Rakesh Pandey
Ranchi Weather
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रांची : उत्तर पश्चिमी दिशा से आ रही ठंडी हवाओं ने झारखंड समेत आसपास के राज्यों में कनकनी बढ़ा दी है। राजधानी Ranchi समेत पूरे राज्य में कोहरे और शीतलहर का असर देखा जा रहा है। पश्चिमी सिंहभूम के कुमारडुंगी में 3 मिमी वर्षापात होने के बाद पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, सिमडेगा और सरायकेला खरसावां के अलावे उत्तर पूर्वी हिस्से यानी देवघर, दुमका, गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा, गिरिडीह और साहिबगंज में काेहरे का असर देखा जा रहा है।

मौसम विज्ञान केंद्र Ranchi द्वारा जारी पूर्वानुमान में बताया गया कि पूरे राज्य में 25 से 28 जनवरी तक कोहरे या धुंध का असर और मौसम शुष्क बना रहेगा। पिछले 24 घंटे के मौसम की बात करें तो सबसे अधिक अधिकतम तापमान 23.9 डिग्री जमशेदपुर का जबकि सबसे कम न्यूनतम तापमान 6.1 डिग्री देवघर का रिकार्ड किया गया।

वहीं राजधानी Ranchi की बात करें तो यहां के तापमान में लगातार उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। पिछले कुछ दिनों से यहां का तापमान 6 से 7 डिग्री के आसपास था जो कि बढ़कर 11.5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है जबकि यहां का अधिकतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। वरीय विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि राज्य में घने कोहरे का असर 28 जनवरी तक देखने को मिलेगा।

प्रदूषण व सिमटती हरियाली ने बढ़ाई परेशानी :

पर्यावरणविद् नीतीश प्रियदर्शी बताते हैं कि रांची के मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहा है। इसके बाद भी न तो सरकारी तंत्र और न ही आमजन सचेत हो रहे हैं। जिसका असर यहां के तापमान में लगातार उतार चढ़ाव के तौर पर देखा जा रहा है। सिमटती हरियाली के कारण यहां क्लाउड बैंड न तो बन पाता है और न ही वर्षा का असर देखने को मिलता है। इससे जलस्त्रोतों पर असर पड़ने के साथ साथ तापमान में भी बदलाव हो रहा है। हरियाली बढ़ाने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। तब ही बदल रहे मौसम को सुधारा जा सकता है।

वैश्विक बदलाव भी है अहम कारण :

राजधानी रांची के तापमान में हो रहे बदलाव पर मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरण में हो रहे बदलाव ने भी परेशानी बढ़ाई है। इसका असर रांची ही नहीं बल्कि हरेक जगह देखने को मिल रहा है। स्थानीय तौर पर ही हरियाली बढ़ाकर कुछ हद तक प्रदूषित वातावरण को सामान्य बनाया जा सकता है। हरियाली बढ़ने के बाद पर्यावरण में कई बदलाव आते हैं, क्लाउड बैंड बनने के साथ साथ धूलकणों के असर को भी कम किया जा सकता है।

 

 

 

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