नई दिल्ली: Kisan Andolan: कृषि कानूनों को रद करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। हालांकि इस आंदोलन के तहत दिल्ली चलो कार्यक्रम को फिलहाल किसान नेताओं ने टाल दिया है। किसानों के आंदोलन और उनकी मांग का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। शुक्रवार को एक याचिका दाखिल कर मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को किसानों की उचित मांगों पर विचार करने और दिल्ली जाने देने का आदेश दे।
Kisan Andolan : केंद्र व राज्य सरकारों पर लगाए आरोप
इस याचिका में केंद्र और राज्य की सरकारों पर किसानों के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि किसानों का अपनी मांगों को लेकर होने वाले विरोध प्रदर्शन के बाद केंद्र और कुछ राज्यों ने चेतावनी जारी है। किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए दिल्ली की सीमा का किलाबंदी कर दी गई है।
किसानों को रोकने के लिए लगाए गए अवरोध हटाने की मांग
दायर की गई याचिका में यह भी कहा गया है कि किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए पुलिस ने जो अवरोध बनाया है उससे आम लोगों को परेशानी हो रही है। इसलिए इन अवरोधों को हटाया जाए। इस याचिका में मांग की गई है कि पुलिस कार्रवाई में घायल और मरने वाले किसानों के परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए।
26 फरवरी को विश्व व्यापार संगठन के पुतले का करेंगे दहन
बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए किसान नेताओं ने कहा है कि, रविवार यानी 25 फरवरी को किसानों को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर विश्व व्यापार संगठन की नीतियों के बारे में बारे में जानकारी दी जाएगी। 26 फरवरी को किसान विश्व व्यापार संगठन के पुतले शंभू और खनौरी बॉर्डर पर जलाएंगे। वहीं 27 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय समिति और किसान मजदूर संघर्ष समिति की दोनों सीमाओं पर बैठक होगी और 28 फरवरी को उनकी संयुक्त बैठक होगी।
29 फरवरी के बाद तय होगी आगे की रणनीति
किसान संगठनों की बैठक के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि किसानों ने 29 फरवरी तक दिल्ली चलो मार्च को रोकने का फैसला किया है। आगे की रणनीति की घोषणा 29 फरवरी को की जाएगी। उधर, सरकार व किसानों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। इन वार्ताओं में समस्या के समाधान की बात कही जाती है लेकिन अभी तक आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है। किसान नेता कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हैँ जबकि सरकार इन कानूनों में जरूरत के हिसाब से संशोधन करने की बात कह रही है।
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