आसनसोल : Jamudiya Earth sank loud Noise : सब कुछ सामान्य चल रहा था, तभी जोरदार आवाज सुनकर सभी लोग चौंक उठे। कोई कुछ समझ पाता, तब तक जमीन धंस चुकी थी और चारों ओर धुआं ही धुआं नजर आ रहा था। यह चौंकाने वाली घटना पश्चिम बंगाल के आसनसोल के समीप शुक्रवार की रात करीब एक बजे जामुड़िया के केंदा तीन नंबर धौरापाड़ा इलाके में हुई। भू धंसान के साथ ही धुएं की विशाल लपटें निकल रही थीं। इससे इलाके में दहशत है।
Jamudiya Earth sank loud Noise : आधी रात को सो रहे थे लोग, धमाके जैसी आवाज से जगे
बताया जाता है कि यह इलाका ईसीएल का है। केंदा में ईसीएल की खदान भी है। शुक्रवार की रात करीब एक इस इलाके में धौरापाड़ा से महज तीस मीटर की दूरी पर जंगली क्षेत्र में तेज आवाज हुई। उस समय लोग अपने घरों में गहरी नींद में सो रहे थे। आवाज इतनी तेज थी कि लोगों की नींद टूट गई। क्या हो गया, यह जानने के लिए लोग अपने घरों से निकल पड़े।
Jamudiya Earth sank loud Noise : धुएं का गुबार देख घटनास्थल तक पहुंचे लोग
धमाके जैसी तेज आवाज सुनकर नींद से उठे लोगों ने आसपास ढूंढना शुरू किया लेकिन कुछ नहीं मिला। उसी समय थोड़ी दूरी पर धुआं निकलते लोगों ने देखा। लेकिन जब सुबह हुई तो लोग भौंचक रह गए। गांव के पास जंगल में विशाल भू धंसान हुआ था और भयंकर धुआं वहां से निकल रहा था।
Jamudiya Earth sank loud Noise : धंसान स्थल की घेराबंदी, पहुंचे ईसीएल के सुरक्षाकर्मी
भू धंसान और धुएं के गुबार उठने की घटना की सूचना मिलने पर ईसीएल के सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंच गए। फिलहाल किसी को भी धंसान वाली जगह के नजदीक जाने नहीं दिया जा रहा। ईसीएल कर्मी सुबह से ही उस मुहाने को भरने की जुगत में लग गए हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इसके पहले भी इस क्षेत्र में तीन-चार बार धंसान के कारण मकान ढह चुका है।
Jamudiya Earth sank loud Noise : पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं, लोग भयभीत
इसके पहले भी कई बार जमीन धंसने और मकान धंसने की घटनाएं हो चुकी हैं। उस समय ईसीएल और प्रशासन ने मिल कर लोगों के लिए स्कूलों और सरकारी आवासों में अस्थायी ठहराव की व्यवस्था तो कर दी थी लेकिन आज तक कोई स्थायी व्यवस्था नहीं हुई है। वे अपने घरों में भयभीत होकर जी रहे हैं। कोई दूसरा रास्ता भी उनके समक्ष नहीं है।
Jamudiya Earth sank loud Noise : कोयला उत्खनन के बाद जमीन हो रही खोखली
बताया जाता है कि जमीन के नीचे खोखली जगह बनने के कारण ऊपर से जमीन और मकानों के ढहने की घटनाएं हो रही हैं। लोगों के सामने यह मजबूरी है कि ऐसी स्थिति में वह जाएं तो आखिर जाएं कहां। यह घटना बार-बार इसलिए हो रही है क्योंकि ईसीएल ने कोयला निकालने के बाद मुहानों को बालू को ठीक से नहीं भरा है। बार-बार पुनर्वास की मांग के बावजूद अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।
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