नई दिल्ली : हिंदू धर्म में पितृपक्ष का समय बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दौरान पितरों (पूर्वजों) को खुश करने के लिए कर्मकांड किए जाते हैं। इस वर्ष 18 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है। कई लोगों का मानना है कि इस वर्ष का पितृपक्ष शुभ नहीं होने वाला है। इस बार 15 दिनों में 2 बार ग्रहण का साया है।
दरअसल, इस साल पितृपक्ष में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों होंगे। पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण से होगी जबकि इसकी समाप्ति सूर्य ग्रहण से होगी। यानी पितृपक्ष के पहले दिन चंद्र ग्रहण लगेगा, जबकि आखिरी दिन सूर्य ग्रहण लगेगा। हिंदू धर्म में लोग ग्रहण को अशुभ मानते हैं। ग्रहण के दौरान कई कामों की मनाही होती है।
पितृपक्ष में चंद्र और सूर्य ग्रहण की छाया
पितृपक्ष के पहले दिन यानी 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण सुबह 06:12 बजे से शुरू होगा जो कि सुबह 10:17 बजे खत्म होगा। वहीं, पितृपक्ष के आखिरी दिन 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगेगा। भारतीय समय के अनुसार सूर्य ग्रहण रात 9:13 बजे से तड़के 3:17 बजे तक रहेगा।
ग्रहण में नहीं लगेगा सूतक
ज्योतिषों का मानना है कि पितृपक्ष के दौरान जो चंद्र ग्रहण लगेगा यह भारत में नहीं दिखाई देगा। इसके बाद पितृपक्ष के अंतिम दिन 2 अक्टूबर को अश्विन अमावस्या पर साल का अंतिम सूर्य ग्रहण भी लगेगा। हालांकि यह सूर्यग्रहण भी भारत में नहीं दिखाई देगा। दोनों ग्रहण भारत में अदृश्य रहेंगे, जिसके कारण सूतक भी नहीं लगेगा।
हालांकि इन सब के बीच ग्रहण लगने की घटना को सनातन धर्म में अशुभ माना जाता है। ऐसी स्थिति में ग्रहण के दौरान पितरों का श्राद्ध पिंडदान करते समय आपको विशेष सावधानी भी बरतनी पड़ेगी।
पितृपक्ष के दौरान कई ग्रह-गोचर का योग
इतना ही नहीं, पितृपक्ष के दौरान कई महत्वपूर्ण ग्रह-गोचर हो रहे हैं। सबसे पहले 17 सितंबर को सूर्य गोचर करके कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इसके अगले दिन 18 सितंबर को शुक्र गोचर करके तुला राशि में आएंगे। 23 सितंबर को बुध गोचर करके कन्या राशि में प्रवेश करेंगे और सूर्य के साथ युति करके बुधादित्य योग बनाएंगे।
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