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Nuclear Ballistic Missile : भारत ने समंदर से दागी परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल: INS अरिघट से हुआ K-4 SLBM का सफल परीक्षण

K-4 SLBM को दो स्टेज सॉलिड रॉकेट मोटर द्वारा संचालित किया जाता है। इसका वजन लगभग 17 टन, लंबाई 39 फीट व व्यास 4.3 मीटर है। यह मिसाइल 2500 किलोग्राम तक के स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर हथियार को ले जाने में सक्षम है।

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: भारत ने अपनी सामरिक शक्ति को और मजबूत करते हुए समुद्र से परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। भारतीय नौसेना ने अपनी न्यूक्लियर पावर्ड पनडुब्बी INS अरिघट से पहली बार K-4 SLBM (Submarine Launched Ballistic Missile) का परीक्षण किया। इस परीक्षण ने भारतीय रक्षा क्षमताओं में एक अहम कड़ी जोड़ दी है, क्योंकि K-4 मिसाइल की रेंज 3500 किलोमीटर तक है और यह देश को सेकेंड स्ट्राइक की क्षमता प्रदान करती है।

K-4 SLBM का महत्व

K-4 SLBM, जो एक इंटरमीडियट रेंज की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल है, का मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना को पानी के अंदर से भी परमाणु हमले की शक्ति प्रदान करना है। यह मिसाइल INS अरिहंत और INS अरिघट जैसी पनडुब्बियों में तैनात है। K-4 SLBM की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक ऐसी मिसाइल है, जो युद्ध की स्थिति में भारतीय सेना को किसी भी हमले के जवाब में समंदर से परमाणु हमला करने की क्षमता प्रदान करती है। इस क्षमता को “सेकेंड स्ट्राइक” कहा जाता है, यानी यदि जमीन पर भारत पर हमला होता है, तो देश की परमाणु ताकत पानी के अंदर से दुश्मन को जवाब दे सकती है।

तकनीकी विशेषताएं

K-4 SLBM को दो स्टेज सॉलिड रॉकेट मोटर द्वारा संचालित किया जाता है। इसका वजन लगभग 17 टन और लंबाई 39 फीट है, जबकि इसका व्यास 4.3 मीटर है। यह मिसाइल 2500 किलोग्राम तक के स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर हथियार को ले जाने में सक्षम है। इसकी ऑपरेशनल रेंज 4000 किलोमीटर तक है, जो भारत की सामरिक रक्षा क्षमताओं को एक नया आयाम देती है।

पहले के परीक्षण

K-4 SLBM का परीक्षण भारत में कई बार किया जा चुका है। 15 जनवरी 2010 को विशाखापट्टनम के तट पर पानी के नीचे पॉन्टून बनाकर इसका पहला डेवलपमेंटल लॉन्च किया गया था। इसके बाद 24 मार्च 2014 और 7 मार्च 2016 को भी सफल परीक्षण हुए थे। 2016 में ही आईएनएस अरिहंत से 700 किलोमीटर रेंज के लिए भी ट्रायल लॉन्च किया गया था। 17 दिसंबर 2017 में एक असफल परीक्षण के बाद 19 जनवरी 2020 को 3500 किलोमीटर रेंज के साथ पांचवें सफल टेस्ट का आयोजन हुआ, और उसके बाद इस साल के परीक्षण ने इस मिसाइल की पूरी क्षमता को साबित कर दिया है।

क्यों किया गया सीक्रेट परीक्षण?

यह परीक्षण बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के न्यूक्लियर ट्रायड (सामरिक, रणनीतिक और समुद्री हमले की ताकत) को मजबूत करता है। भारत का यह सिद्धांत है कि वह पहले कभी परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन यदि उस पर परमाणु हमला किया गया तो वह इसका जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा। इसलिए, इस प्रकार के मिसाइलों का परीक्षण और तैनाती भारत की सुरक्षा नीति के लिए बेहद जरूरी है।

भविष्य की दिशा

इस परीक्षण ने न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत किया है, बल्कि यह भारत को परमाणु हथियारों के क्षेत्र में एक सशक्त और आत्मनिर्भर देश के रूप में स्थापित करता है। इसके साथ ही, भारत का समंदर से हमला करने की क्षमता आने वाले समय में और भी प्रभावशाली और सुरक्षित बनेगी, जिससे भारतीय नौसेना की ताकत दोगुनी हो जाएगी। कुल मिलाकर, K-4 SLBM के सफल परीक्षण ने यह साबित कर दिया है कि भारत की समुद्री रणनीति पूरी तरह से तैयार है और किसी भी प्रकार की आक्रामकता का सामना करने के लिए मजबूत है।

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