प्रयागराज : एक साथ पांच भाषाओं में भागवत कथा सुनाकर देश भर में चर्चा का केंद्र बनी पहली किन्नर कथा वाचक हिमांगी सखी को अब जगतगुरु की उपाधि मिल गई है। जगतगुरु की पदवी देकर परी अखाड़े ने उनका पट्टाभिषेक किया है। प्रयागराज महाकुंभ में वह महिलाओं के परी अखाड़े में शामिल हो गई हैं। उन्हें परी अखाड़े की तरफ से शंकराचार्य की उपाधि भी दी जाएगी।
जगतगुरु की पदवी मिलने से बढ़ी जिम्मेदारी : हिमांगी सखी
जगतगुरु की पदवी मिलने के बाद हिमांगी ने कहा कि उनकी जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है। उन्होंने सनातन रक्षा यात्रा की शुरुआत भी कर दी है। प्रयागराज महाकुंभ के बाद वह देश भर में यात्राएं निकालकर सनातन धर्मियों को एकजुट होने की नसीहत देंगी। इस दौरान वह आपस में बंटने र कटने के अंजाम के बारे में बताएंगी।
भक्तों ने की आरती
परी अखाड़े के आश्रम में हिमांगी सखी के पट्टाभिषेक का कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर सबसे पहले परी अखाड़े की प्रमुख साध्वी त्रिकाल भवंता ने उन्हें फूलों की माला और चादर पहनाकर पट्टाभिषेक की शुरुआत की। इसके बाद समारोह में मौजूद दूसरी साध्वियों ने भी उनकी चादरपोशी की। इस मौके पर परी अखाड़े की साध्वियों के साथ ही कई दूसरे संत महात्मा और तमाम दूसरे लोग भी मौजूद रहे। जगतगुरु की उपाधि मिलने के बाद भक्तों ने आरती कर माता हिमांगी सखी का अभिनंदन किया।
सनातन घर्म की रक्षा करने में महिला संत पीछे नहीं
परी अखाड़े की प्रमुख साध्वी त्रिकाल भवंता और जगतगुरु हिमांगी सखी के मुताबिक सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और उसकी रक्षा करने में महिला संत कतई पीछे नहीं रहेंगी, बल्कि वह और भी जिम्मेदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन करेंगी। साध्वी त्रिकाल भवंता ने कहा कि महाकुंभ में उनका अखाड़ा नारी सशक्तिकरण का बड़ा संदेश देने का काम करेगा। महाकुंभ के आयोजन के दौरान देश की तमाम महिला संतो को अलग-अलग पदों पर विभूषित किया जाएगा। उनका पट्टाभिषेक किया जाएगा।

देश-विदेश में करती हैं भागवत
गौरतलब है भागवत कथा सुनाने की उनकी शुरुआत मॉरीशस से हुई। उन्होंने वहां अंग्रेजी में भागवत सुनाई। इस्कॉन मंदिर समिति की और से उन्हें उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और इसके बाद वह देश और विदेश में भागवत सुनाने के लिए जाती रही। स्पेन, बहरैन, सिंगापुर जैसे देशों के अलावा उन्होंने भारत के भी कई राज्यों में भागवत कथा का पाठ किया है। हिमांगी सखी को महामंडलेश्वर की उपाधि 2019 में दी गई थी। यह उपाधि उन्हें नेपाल के पशुपतिनाथ पीठ की ओर से दी गई थी। प्रयागराज में हुए कुंभ के दौरान आचार्य महामंडलेश्वर गौरी शंकर महाराज ने उन्हें यह उपाधि दी थी।
पांच भाषाओं में हिमांगी सखी सुनातीं हैं भागवत कथा
महामंडलेश्वर हिमांगी सखी पांच भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, गुजराती तथा मराठी में भागवत कथा सुनाती हैं।उनका यह मानना है कि भागवत हर किसी को सुननी और समझनी चाहिए। भागवत सुनने की प्रक्रिया में भाषा बाधा ना बन सके, इसलिए वह श्रोताओं की सुविधा अनुसार उनकी भाषा में ही भागवत सुनाती हैं। उनके पिता गुजराती और मां पंजाबी थीं। महाराष्ट्र में उनका पालन पोषण हुआ। इसी कारण उन्हें पांचो भाषाएं आती हैं।
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