रांची : भारत के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक धरोहर में उसका पारंपरिक खाना एक अहम भूमिका निभाता है। यही कारण है कि जब भी आप किसी नए राज्य की यात्रा करते हैं, तो वहां के विशिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेने की इच्छा स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होती है। झारखंड, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, अपनी खास स्वादिष्ट पाककला के लिए भी जाना जाता है। यहां के खाद्य पदार्थ, विशेषकर चटपटी चलनियां, अचार और विभिन्न प्रकार की पीठे, हर खाने के शौक़ीन को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
लिट्टी चोखा

लिट्टी चोखा झारखंड और बिहार दोनों ही राज्यों में एक लोकप्रिय व्यंजन है। यह विशेष रूप से गेहूं और चने के आटे से बनी गोलियां होती हैं, जो कोयले पर भून कर पकाई जाती हैं। इन लिट्टी को देसी घी में डुबोकर बैंगन और आलू के चोखे के साथ परोसा जाता है। यह व्यंजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि यह झारखंड के लोगों की रसोई का भी अहम हिस्सा है।
पीठा

पीठा झारखंड के पारंपरिक व्यंजनों में से एक है, जो चावल या गेहूं के आटे से तैयार किया जाता है। इसमें आलू का चोखा, दाल, और खोआ भरा जाता है। यह विशेष रूप से मकर संक्रांति के दौरान बनाया जाता है और स्वाद और पौष्टिक होने के कारण इसे आसपास के कई राज्यों में भी पसंद किया जाता है।
धुस्का

धुस्का, झारखंड का एक प्रमुख नाश्ता है, चावल और दाल के घोल से बनाया जाता है और फिर तला जाता है। इसे आमतौर पर पारंपरिक घुघनी के साथ परोसा जाता है, जो काले चने का स्टू होता है। यह व्यंजन झारखंड में बहुत लोकप्रिय है और इसे नाश्ते के रूप में अक्सर खाया जाता है।
हंड़िया

हंड़िया झारखंड का पारंपरिक पेय है, जिसे चावल से तैयार किया जाता है। यह एक प्रकार का चावल का बियर है, जो जड़ी-बूटियों के मिश्रण से तैयार किया जाता है। इसे एक हफ्ते तक किण्वित किया जाता है और फिर यह अल्कोहलिक ड्रिंक बनकर तैयार हो जाती है। हंड़िया का स्वाद और इसकी तैयारी की प्रक्रिया इसे झारखंड का एक अनोखा पेय बनाती है। इसका उपयोग ज्यादातर गर्मी के मौसम में किया जाता है।
छिल्का रोटी

छिल्का रोटी चावल के आटे, चना दाल और उड़द दाल से बनती है। यह एक प्रकार का पतला पैनकेक होता है जो मटन करी या ओल की सब्ज़ी के साथ परोसा जाता है। झारखंड में यह रात्रिभोज के समय एक लोकप्रिय डिश है।
रुगड़ा

रुगड़ा एक विशेष प्रकार का मशरूम है, जो मानसून के मौसम में जंगलों में पाया जाता है। यह ज्यादातर छोटानागपुर के पठार में उगता है और इसका स्वाद अत्यधिक स्वादिष्ट होता है। इसे सही तरीके से पकाकर खाने में बहुत मज़ा आता है और यह झारखंड के विशिष्ट व्यंजनों में से एक है।
बांस का अचार

बांस का अचार झारखंड में खाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक विशेष सामग्री है। इसे हल्की मीठी और खाने में स्वादिष्ट सब्ज़ी के साथ इस्तेमाल किया जाता है। इसके स्वाद और सेहत के लाभों के कारण यह क्षेत्रीय आहार का अहम हिस्सा बन चुकी है।
आलू का चोखा

आलू का चोखा, जिसे आलू भर्ता भी कहते हैं, झारखंड का एक प्रिय व्यंजन है। इसमें मसले हुए आलू, तले हुए प्याज और मसालों का उपयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर रोटी या चावल के साथ परोसा जाता है। यह व्यंजन स्वाद में हल्का तीखा और सादगी का बेहतरीन उदाहरण है।
ठेकुआ

ठेकुआ एक प्रसिद्ध मीठा व्यंजन है, जो खासकर छठ पूजा के प्रसाद के रूप में बनाया जाता है। यह गेहूं के आटे, सौंफ और चीनी या गुड़ से बनता है और इसकी खुशबू बेहतरीन होती है। यह न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि झारखंड के सांस्कृतिक महत्व को भी दर्शाता है।
तिल बर्फी

तिल बर्फी एक पौष्टिक मिठाई है, जो विशेष रूप से मकर संक्रांति के दौरान बनाई जाती है। यह गुड़ और सफेद या काले तिल से बनाई जाती है और इसे पारंपरिक रूप से पानी के साथ परोसा जाता है। तिल बर्फी झारखंड के लोगों की पसंदीदा मिठाई है और त्यौहारों के मौसम में यह विशेष रूप से बनाई जाती है। जाड़े के मौसम में तिल के लड्डू और चिक्की भी खूब खाई जाती है।
गुलगुला व मालपुआ

गुलगुला व मालपुआ, जो एक प्रकार का देसी पैनकेक है, झारखंड की परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। होली के दौरान इसे खास तौर पर बनाया जाता है और इसके लजीज स्वाद के कारण यह हर किसी का दिल जीत लेता है। यह व्यंजन कैलोरी में भारी होता है, लेकिन इसका स्वाद इसका लाजवाब अनुभव प्रदान करता है। गेहूं के आटे और गुड़ के घोल से बना गुलगुला झारखंड में साल भर खाया जाता है।
लाल चींटी की चटनी

ओडिशा, असम, बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों में प्रसिद्ध है। हाल ही में इसे जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग मिला है। इस चटनी को बनाने के लिए लाल चींटियों को लहसुन, हरी मिर्च, टमाटर, धनिया और मसालों के साथ पीसकर तैयार किया जाता है। इसका स्वाद तीखा और चटपटा होता है, जिसे लोग बड़े शौक से खाते हैं।
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