पटना : बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के अभ्यर्थियों की मांग के समर्थन में प्रशांत किशोर 2 जनवरी की रात से आमरण अनशन पर बैठे हैं। इस दौरान, उन्होंने रविवार को एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने बिहार में युवाओं के खिलाफ हो रहे अन्याय का मुद्दा उठाया और एक साझा मंच बनाने की बात की। उनका कहना था कि यह मंच किसी एक राजनीतिक दल का नहीं होगा, बल्कि यह मंच बिहार के युवाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करेगा।
युवा हित में राजनीतिक दलों का समर्थन
प्रशांत किशोर ने इस आंदोलन के लिए सभी राजनीतिक दलों और नेताओं को समर्थन देने का आह्वान किया। उन्होंने प्रमुख विपक्षी नेताओं को गांधी मैदान में आकर बिहार के युवाओं के लिए अपनी आवाज उठाने की अपील की। खासतौर पर, उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव को युवा हित में इस मंच पर आने का निमंत्रण दिया। उनका कहना था कि इस आंदोलन में सभी राजनीतिक दलों का स्वागत है, क्योंकि यह मुद्दा किसी एक पार्टी का नहीं, बल्कि बिहार के सभी युवाओं का है।
प्रशांत किशोर ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल बीपीएससी छात्रों का आंदोलन नहीं है, यह बिहार की व्यवस्था परिवर्तन का आंदोलन बन गया है। युवाओं के नेतृत्व में यह आंदोलन अब बिहार के किसानों, शोषितों और वंचितों की आवाज बन चुका है। इस मंच पर कोई भी राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि बिहार के युवा नेता होंगे। चाहे वह राहुल गांधी हों या तेजस्वी यादव, सभी का स्वागत है।”
युवाओं का संघर्ष, सरकार से बदलाव की मांग
प्रशांत किशोर ने आंदोलन में बैठे युवाओं की हिम्मत की सराहना करते हुए कहा कि युवाओं ने यह साबित कर दिया है कि वे सरकार के लाठी तंत्र से डरने वाले नहीं हैं। उनका मानना है कि लोकतंत्र में जब तक जनबल मजबूत रहेगा, सरकार को झुकना ही होगा। उन्होंने कहा कि बिहार के युवाओं के साथ अन्याय अब और नहीं सहा जाएगा। यह आंदोलन सिर्फ बीपीएससी के छात्रों का नहीं है, बल्कि हर उस व्यक्ति का है जिसे बिहार की सरकार ने अन्याय का सामना कराया है।
सभी एकजुट होकर व्यवस्था बदलने के लिए उठाएं कदम
प्रशांत किशोर ने साफ किया कि यह मंच किसी एक व्यक्ति या पार्टी का नेतृत्व नहीं करेगा, बल्कि यह बिहार के सभी युवाओं का आंदोलन होगा। उनका कहना था, “यहां पर जो भी नेता आएंगे, उनका उद्देश्य केवल बिहार के युवाओं का समर्थन करना होगा। हम चाहते हैं कि बिहार की राजनीतिक पार्टियां एकजुट होकर राज्य की व्यवस्था को बदलने के लिए कदम उठाएं।”
बीपीएससी परीक्षा को लेकर क्या है छात्रों की मांग
इस आंदोलन का प्रमुख कारण बीपीएससी की 70वीं पीटी परीक्षा को लेकर छात्र वर्ग का विरोध है। छात्रों का कहना है कि यह परीक्षा रद्द की जाए, क्योंकि परीक्षा में धांधली के आरोप लगे हैं और कई केंद्रों पर परीक्षा के परिणाम सही नहीं आए हैं। छात्र चाहते हैं कि सिर्फ एक केंद्र की परीक्षा नहीं, बल्कि सभी केंद्रों की परीक्षा रद्द की जाए और फिर से निष्पक्ष तरीके से परीक्षा आयोजित की जाए।
4 जनवरी को एक केंद्र की परीक्षा रद्द की गई थी, लेकिन छात्रों ने अभी भी पूरी परीक्षा प्रक्रिया को रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि इस मुद्दे को लेकर आंदोलन अब केवल बीपीएससी परीक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बिहार में युवाओं के भविष्य और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा संघर्ष बन चुका है।
इस मंच का उद्देश्य सिर्फ न्याय प्राप्त करना
प्रशांत किशोर ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका समर्थन केवल इस आंदोलन के लिए है, वह इसका नेतृत्व नहीं कर रहे हैं। यह आंदोलन बिहार के युवाओं का है और उन्हें न्याय दिलाने के लिए एकजुट होना पड़ेगा। उनका कहना था कि इस मंच का उद्देश्य सिर्फ सरकार से न्याय प्राप्त करना है, न कि किसी राजनीतिक दल को फायदा पहुँचाना।
बिहार की राजनीति में एक नया मोड़
इस आंदोलन ने बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां युवाओं ने अपनी आवाज़ उठाकर सरकार को चुनौती दी है। अब यह देखना होगा कि राज्य की राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर किस तरह से प्रतिक्रिया देती हैं और क्या सरकार इस संघर्ष के सामने झुकती है।
अब नजरें सरकार के कदम की ओर
बीपीएससी छात्रों का आंदोलन अब केवल परीक्षा रद्द करने की मांग तक सीमित नहीं रहा है। यह बिहार के युवाओं के लिए एक बड़ा संघर्ष बन चुका है, जहां वे अपनी आवाज़ सरकार तक पहुँचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं। प्रशांत किशोर का समर्थन इस आंदोलन को और भी शक्ति प्रदान कर रहा है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार इस दबाव के आगे क्या कदम उठाती है।