प्रयागराज : कुंभ मेला, जिसे महाकुंभ के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म की महानता का प्रतीक है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, वास्तव में आध्यात्मिक सम्मेलन, महासत्संग और सांस्कृतिक धरोहर का एक विशाल आयोजन है। प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर आयोजित इस मेले का हिंदू धर्म में अद्वितीय महत्व है। करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति और व्यापक जनसमूह के कारण यह मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है।
सनातन संस्था के प्रवक्ता चेतन राजहंस कहते हैं कि कुंभ मेले पर खर्च होने वाली राशि को लेकर अधिकांश आलोचनाएं हो रही हैं। यह कहा जा रहा है कि सरकार इस आयोजन पर अत्यधिक धन खर्च कर रही है, जिसे अन्य क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और गरीबी उन्मूलन में लगाया जा सकता है। विशेषकर नागा साधुओं और अन्य धार्मिक आयोजनों पर खर्च को लेकर सवाल उठाए जाते हैं।
फिर भी, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अन्य धर्मों के धार्मिक आयोजनों पर भी सरकारी खर्च होता है, जैसे कि मुस्लिम समुदाय के लिए हज यात्रा के आयोजन मे भी बहुत बडी मात्रा मे खर्च सरकार की ओर से होता हैं। परंतु तब कोई सवाल नहीं उठता। ऐसे में केवल हिंदू धार्मिक आयोजनों पर सवाल खड़ा करना अनुचित प्रतीत होता है।
आर्थिक दृष्टिकोण से कुंभ मेले का महत्व!
2019 में प्रयागराज में आयोजित कुंभ मेले में उत्तर प्रदेश सरकार ने लगभग ₹4,200 करोड़ खर्च किए थे। यह राशि मूलभूत आवश्यकताएं, विकास, सुरक्षा, स्वच्छता और अन्य आवश्यक सेवाओं पर खर्च की गई। इस आयोजन से राज्य को ₹1.2 लाख करोड़ का आर्थिक लाभ हुआ। यह लाभ पर्यटन, व्यापार, और अन्य माध्यमों से हुआ।
कुंभ मेले के समय अस्थायी शहर का निर्माण होता है, जिसमें सड़कें, पुल, यातायात व्यवस्था, जल आपूर्ति, विद्युत और स्वच्छता की व्यापक व्यवस्था अंतरर्भूत होती है। इससे न केवल स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा मिलता है, अपितु लाखों लोगों को रोजगार भी मिलता है।
कुंभ मेले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व!
कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, अपितु यह भारतीय सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर को संरक्षित करने का प्रयास है। यह आयोजन परंपरागत व्यवसायों जैसे हस्तशिल्प, कपड़ा निर्माण और स्थानीय उद्योगों को पुनर्जीवित करता है। कुंभ मेले के माध्यम से भारतीय संस्कृति और कला का वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार होता है।
भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग : कुंभ मेला
कुंभ मेला भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे अपव्यय कहना उचित नहीं है। यह मेला न केवल सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण करता है, अपितु समाज में एकता, समरसता और भाईचारे की भावना को भी बढ़ावा देता है।
आलोचनाओं के होते हुए भी, यह स्वीकार करना आवश्यक है कि कुंभ मेला एक ऐसा आयोजन है जो भारतीय संस्कृति की गहराई और विविधता को प्रस्तुत करता है। इसे अपव्यय के स्थान पर भारतीय समाज के उत्थान और विकास का एक माध्यम समझा जाना चाहिए।
भक्तों के लिए सुनहरा अवसर!
सनातन संस्था की ओर से कई वर्षों से कुंभ मेले में विभिन्न माध्यमों से साधना को उत्तम बनाने हेतु मार्गदर्शन किया जा रहा है। इस वर्ष प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ मेले में साधना सत्संग, नामस्मरण, फ्लेक्स प्रदर्शनी आदि के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार की योजना बनाई गई है। साधना के आनंद की प्राप्ति के लिए और उसे दूसरों तक पहुंचाने के लिए भक्तों को इस सुनहरे अवसर का अवश्य लाभ उठाना चाहिए।