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IAS Sanjeev Hans :  आखिरकार नप ही गए IAS अधिकारी संजीव हंस, ईडी की कार्रवाई के बाद बिहार सरकार ने किया सस्पेंड

by Rakesh Pandey
IAS Sanjeev Hans
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पटना: बिहार सरकार ने आखिरकार आईएएस अधिकारी संजीव हंस को निलंबित कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में कार्रवाई की थी। संजीव हंस के खिलाफ यह कार्रवाई तब शुरू हुई, जब ईडी ने उनके खिलाफ जांच के दौरान कई संपत्तियों का पता लगाया और गिरफ्तारी की।

ईडी की गिरफ्तारी और बिहार सरकार की कार्रवाई

संजीव हंस, जो कि बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव रह चुके हैं, उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार किया और अवैध संपत्ति अर्जित की। अक्टूबर 2024 से प्रभावी निलंबन के आदेश के साथ ही बिहार सरकार ने संजीव हंस को उनकी सरकारी सेवा से निलंबित कर दिया। इस आदेश को केंद्रीय कार्मिक विभाग की अनुमति मिलने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने जारी किया।

ईडी ने पहले संजीव हंस के कई ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें बड़े पैमाने पर संपत्ति का खुलासा हुआ। इसके बाद अक्टूबर 2024 में उन्हें गिरफ्तार किया गया और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल भेज दिया गया।

23 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त

ईडी ने संजीव हंस के खिलाफ अपनी जांच के दौरान 23 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है। इस संपत्ति का स्रोत और हंस द्वारा अर्जित की गई संपत्ति की वैधता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। ईडी की जांच के दौरान, उनके साथ-साथ पूर्व विधायक गुलाब यादव पर भी कार्रवाई की गई। दोनों पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी पदों का दुरुपयोग करते हुए अवैध तरीके से संपत्ति बनाई और उसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया।

महिला वकील से दुष्कर्म का आरोप

इस मामले में केवल मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप नहीं है, बल्कि संजीव हंस और गुलाब यादव पर एक महिला वकील से दुष्कर्म का गंभीर आरोप भी लगा है। महिला वकील ने आरोप लगाया कि संजीव हंस और गुलाब यादव ने उसके साथ दुष्कर्म किया और इसका वीडियो बनाकर उसे वायरल कर दिया। इसके बाद महिला को लगातार ब्लैकमेल किया जाता रहा और उसका शोषण किया गया। इस आरोप के बाद महिला ने साल 2021 में कोर्ट में मामला दर्ज कराया था।

लोक सेवक नियमावली के तहत निलंबन

लोक सेवक नियमावली के अनुसार, यदि कोई सरकारी अधिकारी 48 घंटे या उससे अधिक समय तक जेल में बंद रहता है, तो उसे निलंबित किया जा सकता है। चूंकि संजीव हंस के खिलाफ गिरफ्तारी के बाद वे जेल में हैं और उनके खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, इसलिए बिहार सरकार ने उन्हें निलंबित करने का निर्णय लिया। यह कार्रवाई उनके खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और दुष्कर्म के आरोप शामिल हैं।

आगे की कानूनी कार्रवाई

ईडी की जांच अब भी जारी है और यह स्पष्ट नहीं है कि संजीव हंस के खिलाफ आगे किस प्रकार की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप की गहन जांच की जा रही है, साथ ही महिला वकील से जुड़े दुष्कर्म के मामले में भी कार्रवाई चल रही है।

बिहार में यह मामला काफी सुर्खियों में है, और इसने सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और अन्य अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की आवश्यकता को फिर से उजागर किया है। संजीव हंस की गिरफ्तारी और निलंबन ने यह साबित कर दिया कि भ्रष्टाचार और अपराध को लेकर सरकार की कोई भी ढील नहीं होगी।

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