मुंबई : टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा की बेटियां माया और लीह अब सर रतन टाटा इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट (SRTII) के बोर्ड में शामिल हो गई हैं। दोनों को ट्रस्टीज के बोर्ड में अरनाज कोटवाल और फ्रेडी तालाती की जगह नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति के साथ, नोएल टाटा के बच्चों की टाटा ट्रस्ट के छोटे बोर्ड में एंट्री हो गई है, हालांकि अभी उनके लिए टाटा ट्रस्ट के दो मुख्य बोर्डों, सर रतन टाटा ट्रस्ट एंड अलायड ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट एंड अलायड ट्रस्ट, में जगह बनाना बाकी है।
टाटा ट्रस्ट के लिए यह नियुक्ति क्या मायने रखती है?
टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में माया और लीह की नियुक्ति का मतलब है कि टाटा समूह के परिवार में नेतृत्व का बदलाव और नई दिशा देखने को मिल सकती है। यह कदम उस वक्त उठाया गया है जब रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया था। यह बदलाव टाटा ट्रस्ट और इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट के भविष्य को लेकर नई उम्मीदें और योजनाएं सामने लाता है, जो मुख्य रूप से महिलाओं को रोजगार दिलाने के प्रयासों को बढ़ावा देता है।
माया और लीह की नियुक्ति पर विवाद और खींचतान
हालांकि माया और लीह की बोर्ड में नियुक्ति को लेकर परिवार और ट्रस्ट के भीतर आंतरिक खींचतान की खबरें भी सामने आई हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अरनाज कोटवाल ने ट्रस्ट के अन्य सदस्यों से शिकायत की कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला गया, ताकि नए ट्रस्टीज की नियुक्ति की जा सके। अरनाज ने बताया कि उन्हें बुर्जिस के अनुरोध पर इस्तीफा देना पड़ा, हालांकि यह पूरी प्रक्रिया उनके लिए बहुत अप्रत्याशित और दुखद थी।
अरनाज ने आगे कहा कि उन्हें इस मामले से संबंधित पत्र एक अजनबी व्यक्ति से मिला था, जो सीईओ सिद्धार्थ शर्मा के निर्देश पर भेजा गया था। वह इस बात से हैरान थीं कि इस पत्र में जिन लोगों का नाम था, उनका सर रतन टाटा इंडस्ट्रियल इंस्टीट्यूट से कोई संबंध नहीं था।
आंतरिक राजनीति और टाटा परिवार के रिश्ते
अरनाज कोटवाल ने ईमेल में यह भी लिखा कि नोएल टाटा के कहने पर तारापोरेवाला ने उनसे इस्तीफा देने को कहा। इसके बाद मेहली मिस्त्री, जो कि टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं, ने भी अरनाज को इस मामले पर कॉल किया था। यह घटनाएं टाटा परिवार और ट्रस्ट के भीतर की आंतरिक राजनीति को उजागर करती हैं, जो इस नियुक्ति के साथ सामने आईं हैं।
परिवारिक बदलाव और ट्रस्ट की नई दिशा
सूत्रों की मानें तो नोएल टाटा की बेटियों की सार्वजनिक भूमिका में बढ़ोतरी टाटा ट्रस्ट के भीतर परिवारिक बदलाव की ओर संकेत करती है। यह नियुक्ति, भले ही विवादों से घिरी हो, लेकिन टाटा ट्रस्ट के भविष्य के लिए एक नई दिशा का संकेत है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में टाटा ट्रस्ट के अंदर और बाहर इस परिवारिक बदलाव का क्या असर होता है, और क्या यह ट्रस्ट की नीति और संचालन में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएगा।
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