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महिलाएं मादक पदार्थों से रहें दूर, 18 प्रतिशत को समय पूर्व लेबर पेन, 10 प्रतिशत में प्रीमेच्योर डिलीवरी की हो रही समस्या

तंबाकू या इससे बने उत्पादों का सेवन करने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान कई प्रकार की जटिलताएं देखी जा रही हैं। ऐसी जटिलताएं सामने आने पर आईसीएमआर से एक एडवांस साइंटिफिक रिसर्च की मंजूरी के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है।

by Rakesh Pandey
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हेल्थ डेस्क। वैसे तो किसी भी मादक पदार्थ का सेवन किसी भी व्यक्ति के लिए नुकसानदेह होता है। अब तो देखा जा रहा है कि महिलाएं भी मादक पदार्थ की गिरफ्त में आ रही हैं। ऐसी महिलाओं को काफी सतर्क हो जाने की जरूरत है। आंकड़ों पर नजर डालें तो यह बात साबित होती है कि तंबाकू, गुड़ाखू, बीड़ी, गुल, सिगरेट आदि का नशा करने वाली महिलाओं के बच्चे जन्मजात अधिक कुपोषित व कई समस्याओं से घिरे होते हैं। इतना ही नहीं ऐसी महिलाओं को प्रसव के दौरान विशेष परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं अस्पतालों के आंकड़े

जमशेदपुर स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल की गायनिक विभाग व सदर अस्पताल में पिछले 10 महीने में हुए प्रसव के आंकड़े बताते हैं कि किस प्रकार नशे का सेवन करनेवाली महिलाओं के गर्भधारण पर नुकसान होता है। कोल्हान के इन दोनों प्रमुख अस्पतालों से प्राप्त आंकड़े के अनुसार तंबाकू या इससे बने उत्पादों का सेवन करने वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसव (डिलीवरी) के दौरान खासी कठिनाइयों से गुजरना पड़ रहा है। जैसे- समय से पहले हेवी लेबर पेन (प्रसव पीड़ा), प्रीमेच्योर (समय से पूर्व) डिलीवरी और खून की अत्यधिक कमी आदि समस्याएं शामिल हैं।

एमजीएम मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी सह रिसर्च स्कॉलर डॉ. वनिता सहाय ने कहा कि करीब 20 प्रतिशत गर्भवतियों में प्रसव के दौरान काम्प्लीकेशन की एक बड़ी वजह महिलाओं का तंबाकू, गुड़ाखू, बीड़ी, गुल, सिगरेट आदि का सेवन करना है। यह स्टडी इसलिए भी ज्यादा अलार्मिंग है क्योंकि कोल्हान समेत झारखंड में बड़ी संख्या में महिलाएं तंबाकू-गुडाखू, गुल, बीड़ी का इस्तेमाल करती हैं।

प्रभावित हो सकता है नवजात का विकास

आईएम के बैनर तले कोल्हान समेत झारखंड के गांवों में सेवा देने वाली डॉ. वनिता सहाय ने कहा कि गांवों में पान ठेले के अलावा किराना दुकानों में तंबाकू-गुड़ाखू, गुल बिकता है। स्टडी के दौरान यह भी आब्जर्व किया गया है कि नवजात शिशुओं में कई मेजर कांप्लीकेशन हैं। जैसे- वजन और लंबाई का सामान्य से काफी कम होना। खून की कमी। अन्य जन्मजात विसंगतियां। इन सभी के कारणों का पता लगान के लिए इस पर अलग से रिसर्च के लिए आईसीएमआर से एक साइंटिफिक रिसर्च की मंजूरी के लिए अलग से प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह रिसर्च पूरी तरह से नवजात शिशुओं पर आधारित होगा जिसके कंपलीट होने में लगभग 18 महीने का समय लगेगा।

लेबर पेन, प्रीमैच्योर डिलीवरी को ऐसे समझें

महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. आशा गुप्ता ने कहा कि सामान्य स्थिति में कोई भी गर्भवती 37 से 40 हफ्ते में बच्चे को जन्म देती है। अगर, किसी महिला को 37 हफ्ते के पहले लेबर पेन (बच्चे को जन्म देने से पूर्व होनेवाला दर्द) होता है और वह बच्चे को जन्म देती है तो इसे प्रीमेच्योर यानि समय से पूर्व डिलीवरी कहते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, इनमें से एक तंबाकू या इससे बने उत्पादों का सेवन करना भी है। इस स्थिति में जन्म लेने वाले बच्चों की शारीरिक गतिविधियां कम होती हैं। वजन कम होता है। स्किन पतली होती है।

खून की कमी के साथ होती हैं कई जटिलताएं

जमशेदपुर व आसपास की ख्याति प्राप्त महिला रोग विशेषज्ञ डा. रश्मि वर्मा ने कहा कि जो गर्भवती महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं उनमें सबसे कामन समस्या खून की होती है। इन महिलाओं में खून की कमी इतनी अधिक होती है कि सिजेरियन के दौरान 2-3 यूनिट रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। डॉ. वर्मा ने कहा कि गम्हरिया की एक ग्रामीण मरीज शादी से पूर्व से ही तंबाकू का सेवन करती थी। गर्भधारण के साथ ही उसे कई कांप्लीकेशन आने लगे। उसकी समस्याएं इतनी बढ़ गईं कि समय से पूर्व 32 वें सप्ताह में सर्जरी कर बच्चा पैदा करने की जरूरत पड़ गई। वहीं जन्म लेने के बाद नवजात का वजन भी सामान्य से कम था।

6430 गर्भवती महिलाओं की केस स्टडी में सामने आए तथ्य

कोल्हान के गर्भवती महिलाओं में खून की कमी के साथ नवजात बच्चों के सामान्य से कम वजन समेत जच्चा- बच्चा में कांप्लीकेशन के मामले बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। एमजीएम मेडिकल कॉलेज की रिसर्च टीम की ओर से पीजी स्टूडेंट्स की मदद से 10 महीने में अस्पताल आई 6430 गर्भवती महिलाओं की केस स्टडी किया है। इसमें यह बात सामने आई है कि इन 6430 में 2186 महिलाओं में खून की कमी समेत कई कांप्लीकेशन हुए। वहीं खून की कमी की समस्या वाली इन 2186 महिलाओं में 1480 महिलाएं ऐसी पाई गईं जो किसी न किसी रुप में तंबाकू का सेवन 5 वर्षों से अधिक समय से कर रही हैं।

गर्भपात की समस्या भी आई सामने

नशे का सेवन गर्भपात का भी कारण बनकर सामने आ रहा है। जिन 6430 गर्भवती महिलाओं की स्टडी की गई, उनमें तंबाकू का सेवन करने वाली 3 में से एक महिला में एक बार गर्भपात भी हुआ है। वहीं, 74 प्रतिशत से अधिक मामले में प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई। जन्म लेनेवाला शिशु काफी कमजोर पाया गया। इस पूरी स्टडी रिपोर्ट को कॉलेज के सीनियर डॉक्टर व रिसर्च टीम के एक्सपर्ट देख रहे हैं। साथ ही आगे क्या करना है इसपर विचार कर रहे हैं।

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