रांची: रिम्स में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अब अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी हॉस्पिटल मैनेजरों को देने की तैयारी है। इस निर्णय के तहत अब अस्पताल की व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित और जवाबदेह बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। रिम्स में प्रतिदिन ओपीडी और इमरजेंसी मिलाकर करीब 2500 मरीज आते हैं, वहीं इनडोर वार्ड में प्रतिदिन 1500 से अधिक मरीज भर्ती रहते हैं। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों की देखरेख और इलाज की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती होती है। से में हॉस्पिटल मैनेजर के आने से जहां मरीजों की परेशानी कम होगी। वहीं परिजनों को भी राहत मिल सकेगी।
जरूरतों का रखेंगे ध्यान
हॉस्पिटल मैनेजर अब न केवल इमरजेंसी विभाग में आने वाले मरीजों की त्वरित व्यवस्था पर नजर रखेंगे, बल्कि वार्डों की साफ-सफाई, बेड की उपलब्धता, दवाओं की आपूर्ति, स्टाफ की उपस्थिति और मरीजों की मूलभूत जरूरतों पर भी ध्यान देंगे। साथ ही मरीजों और उनके परिजनों को हो रही समस्याओं को सुलझाने में भी अहम भूमिका निभाएंगे। पिछले दिनों रिम्स की जीबी मीटिंग में इस प्रस्ताव को भी सहमति दी गई है। ऐसा माना जा रहा है कि यह कदम अस्पताल की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाने में कारगर साबित होगा। हॉस्पिटल मैनेजरों की नियुक्ति से अस्पताल के संचालन में पारदर्शिता आएगी। मरीजों को समय पर इलाज, दवाइयां, साफ-सफाई और वार्ड में बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
विभागों के बीच कड़ी का रोल
ओपीडी, इमरजेंसी, ऑपरेशन थिएटर और इनडोर वार्डों के बीच समन्वय बनाना, डॉक्टरों और नर्सों के साथ तालमेल रखने के अलावा जरूरी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना हॉस्पिटल मैनेजर की जिम्मेदारी होगी। वे अस्पताल में किसी भी प्रकार की शिकायत को जल्द सुलझाने में भी मदद करेंगे। सभी विभागों के बीच वे कड़ी की तरह काम करेंगे। बता दें कि जीबी मीटिंग में स्वास्थ्य मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा था कि मरीजों को रिम्स में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। ऐसे में मरीजों को बड़ी राहत मिलने वाली है।
निगरानी से सुधरेगी व्यवस्था
हॉस्पिटल में मरीजों को बेड, खाना व दवाएं उपलब्ध कराई जाती है। हॉस्पिटल मैनेजर इन सबकी निगरानी करेंगे। वहीं समय-समय पर सीनियर अधिकारियों को अपडेट भी करेंगे। जिससे कि हॉस्पिटल की व्यवस्था सुधारने में मदद मिलेगी। नियमित रूप से निरीक्षण और व्यवस्थाओं की निगरानी से काम करने वाले कर्मियों में भी थोड़ा भय बना रहेगा। ऐसे में वे अपना काम बेहतर ढंग से करेंगे। मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं देने की दिशा में यह कदम एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। उम्मीद जती जा रही है कि इससे अस्पताल में अव्यवस्था, शिकायतें और इंतजार की लंबी कतारें कम होंगी।