लातेहार / पलामू : झारखंड के लातेहार और पलामू जिले में माओवादी आतंक के दिन अब पीछे छूटते जा रहे हैं। जयगिर और बूढ़ापहाड़ जैसे इलाकों में, जहां कभी माओवादी हर घर से एक बच्चे की मांग करते थे, अब बच्चे स्कूल जा रहे हैं, लोग बाजार जा रहे हैं और क्षेत्र मुख्यधारा से जुड़ रहा है। यह बदलाव सुरक्षाबलों की ऑपरेशन ऑक्टोपस जैसे अभियानों की वजह से आया है, जिससे माओवादियों का दबदबा कमजोर पड़ा है।
Jharkhand Maoist Recruitment : हर घर से बच्चा मांगने का जारी होता था फरमान
बीते वर्षों में माओवादी संगठनों ने कैडर की कमी को पूरा करने के लिए बूढ़ापहाड़, जयगिर, नावाटोली, बहेराटोली, हेसातु जैसे इलाकों में प्रत्येक घर से एक बच्चे की मांग शुरू कर दी थी। माओवादियों के फरमान के खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध किया, लेकिन कई मौकों पर हथियारों के बल पर बच्चों को दस्ते में शामिल भी कर लिया गया। ग्रामीणों को खाना, मजदूरी और सामान ढुलवाने के लिए मजबूर किया जाता था। कई ग्रामीणों ने बताया कि दिनभर खेत में काम करने के बाद भी उन्हें रात में माओवादियों का काम करना पड़ता था।
Palamu-Latehar Case Studies : माओवादी दबाव और ग्रामीणों का प्रतिरोध
केस स्टडी 01 – 2023-24, जयगिर पहाड़
शीर्ष माओवादी छोटू खरवार ने दो बच्चों को दस्ते में शामिल किया। छह महीने बाद दोनों बच्चे वापस लौटे। पूरे गांव में जश्न और पूजा का आयोजन हुआ।
केस स्टडी 02 – 2018-19, बहेराटोली
माओवादियों ने पांच बच्चों को उठाया, लेकिन ग्रामीणों के जबरदस्त विरोध के बाद उन्हें वापस छोड़ना पड़ा।
केस स्टडी 03 – 2016, छिपादोहर
पुलिस ने एक सर्च ऑपरेशन के दौरान 13 वर्षीय किशोर को मुक्त कराया।
2015 में लातेहार से एक लड़की को भी दस्ते से छुड़ाया गया।
‘हर घर से एक बेटा चाहिए’ : भय और दबाव की कहानी
जयगिर निवासी संजय लोहरा बताते हैं कि 2022-23 के दौरान माओवादी उन्हें दस्ते में शामिल करने के लिए बार-बार धमकी दे रहे थे। लेकिन सुरक्षाबलों के अभियान से वे बच सके। वहीं, ग्रामीण रायमल बृजिया ने बताया कि माओवादी जबरन रात में सामान ढुलवाने और गाइड करने का काम लेते थे।
अब गांवों में लौट रहा है विश्वास, बच्चे फिर से पढ़ाई की ओर
आज बूढ़ापहाड़ और जयगिर जैसे क्षेत्रों में 2,000 से अधिक सुरक्षाबल तैनात हैं। बच्चे स्कूल जा रहे हैं, ग्रामीण खेती-किसानी में व्यस्त हैं और जीवन सामान्य हो रहा है। माओवादियों के गढ़ रहे इलाकों में अब पुलिस चौकियां हैं, सड़कें बन रही हैं और सरकारी योजनाएं पहुंच रही हैं।
Jharkhand Security Forces : सामुदायिक पुलिसिंग से आई सकारात्मकता
पलामू रेंज के आईजी सुनील भास्कर ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में हालात तेजी से बदले हैं। सामुदायिक पुलिसिंग और सुरक्षा बलों की उपस्थिति ने ग्रामीणों में विश्वास पैदा किया है। जो नक्सली अब भी छिपे हैं, उन्हें मुख्यधारा में लौटने का मौका दिया जा रहा है।