जमशेदपुर : आज, 19 मई को, भारतीय उद्योग जगत के पितामह, जमशेदजी नसरवानजी टाटा की 121वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। उनका योगदान न केवल भारतीय उद्योग जगत में, बल्कि समाज, शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में भी अविस्मरणीय है। उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, देश भर में उनके द्वारा स्थापित संस्थाओं और उनके दृष्टिकोण को याद किया जा रहा है।
जमशेदजी टाटा : भारतीय उद्योग के पितामह
जमशेदजी टाटा का जन्म 3 मार्च 1839 को गुजरात के नवसारी में हुआ था। पारसी पुरोहित परिवार में जन्मे जमशेदजी ने पारंपरिक धार्मिक जीवन को छोड़कर व्यापार की ओर रुख किया। मुंबई के एल्फिंस्टन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपने पिता के व्यापारिक संस्थान में योगदान देना शुरू किया। 1868 में, उन्होंने एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना की, जो बाद में टाटा समूह के रूप में विकसित हुई।
उनके प्रमुख योगदान
- टाटा स्टील (Tata Steel)
जमशेदजी टाटा का सपना था कि भारत में एक विश्वस्तरीय इस्पात कारख़ाना स्थापित हो। 1907 में, उनके सपने को साकार करते हुए, टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (अब टाटा स्टील) की स्थापना हुई। यह भारत की पहली इस्पात कंपनी थी, जो आज दुनिया की प्रमुख इस्पात कंपनियों में से एक है। - भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science) शिक्षा के क्षेत्र में, जमशेदजी ने 1898 में बंगलुरु में एक उच्च शिक्षा संस्थान की स्थापना की योजना बनाई। उनके निधन के बाद, उनके पुत्रों ने 1909 में भारतीय विज्ञान संस्थान की स्थापना की, जो आज भारत के प्रमुख शोध संस्थानों में से एक है।
- टाटा पावर (Tata Power) ऊर्जा क्षेत्र में, जमशेदजी ने 1906 में मुंबई में एक जलविद्युत परियोजना की योजना बनाई। उनके निधन के बाद, 1910 में टाटा पावर की स्थापना हुई, जो आज भारत की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की ऊर्जा कंपनी है।
- ताज महल पैलेस होटल (Taj Mahal Palace Hotel)
जमशेदजी का सपना था कि मुंबई में एक भव्य भारतीय होटल हो। 1903 में, ताज महल पैलेस होटल की स्थापना हुई, जो न केवल भारत का पहला लक्ज़री होटल था, बल्कि मुंबई का पहला भवन था, जिसमें बिजली की सुविधा थी।
समाज और कर्मचारी कल्याण में योगदान
जमशेदजी टाटा ने अपने उद्योगों में कर्मचारियों के कल्याण के लिए कई पहल की। उन्होंने कर्मचारियों के लिए मुफ्त चिकित्सा सहायता, पेंशन योजना, मातृत्व भत्ता और दुर्घटना बीमा जैसी सुविधाएं प्रदान की। उनके द्वारा स्थापित ‘स्वदेशी मिल’ और ‘एम्प्रेस मिल’ में कर्मचारियों के लिए प्राथमिक शिक्षा और बाल देखभाल केंद्र जैसी सुविधाएं उपलब्ध थीं।
परोपकार और शिक्षा में योगदान
जमशेदजी टाटा ने 1892 में ‘जे.एन. टाटा एंडोमेंट’ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजना था। उनके योगदान से कई प्रमुख वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और प्रशासनिक अधिकारी तैयार हुए, जिन्होंने देश की सेवा की।
उनके स्थायी धरोहर
जमशेदजी टाटा का योगदान न केवल उद्योग और शिक्षा तक सीमित था, बल्कि उन्होंने भारतीय समाज के समग्र विकास के लिए कार्य किया। उनकी दूरदृष्टि और परोपकारी दृष्टिकोण ने उन्हें ‘एक व्यक्ति की योजना आयोग’ के रूप में प्रतिष्ठित किया। उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं और उनके द्वारा छोड़ी गई धरोहर आज भी भारतीय समाज और उद्योग जगत में जीवित हैं।
जमशेदजी टाटा की पुण्यतिथि पर, हम उनके योगदान को नमन करते हैं और उनके दृष्टिकोण और कार्यों से प्रेरणा लेते हुए, उनके सपनों को साकार करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहते हैं। उनका जीवन और कार्य हमें यह सिखाता है कि उद्योग, शिक्षा और समाज सेवा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण संभव है।