सेंट्रल डेस्क : ईरान ने अमेरिका द्वारा अपने तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के जवाब में सीरिया में एक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर सटीक ड्रोन या मिसाइल हमला किया है। यह हमला क्षेत्रीय राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है। ईरानी मीडिया ने इस घटना की पुष्टि की है, हालांकि अमेरिका की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
कहां और कैसे हुआ हमला
ईरान-समर्थित बलों द्वारा यह हमला सीरिया के अंदर स्थित अमेरिकी सेना के अड्डे पर किया गया। ईरान ने इस कार्रवाई को ‘आक्रामक अमेरिकी हमलों का जवाब’ बताया है। ईरानी मीडिया के अनुसार, हमले में हाई-प्रीसिजन ड्रोन या मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया। यह हमला एक रणनीतिक संदेश है कि ईरान क्षेत्रीय हमलों का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।
ईरान-अमेरिका-इज़रायल तनाव की पृष्ठभूमि
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब मध्य-पूर्व में तनाव चरम पर है। हाल ही में अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों — फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान — पर एयरस्ट्राइक की थी, जिसे अमेरिका ने “सफल सैन्य अभियान” बताया। इससे पहले 13 जून को इज़रायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ चलाकर ईरानी ठिकानों को निशाना बनाया था।
संयुक्त राष्ट्र में तीखी बहस
सोमवार को हुई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में अमेरिका और ईरान आमने-सामने आ गए। ईरान के स्थायी प्रतिनिधि आमिर सईद इरावानी ने अमेरिका की कार्रवाई को ‘घोर अपराध’ करार देते हुए इज़रायल पर युद्ध को भड़काने का आरोप लगाया। उन्होंने स्पष्ट कहा, ‘अब ईरान की सेनाएं तय करेंगी कि जवाब कब, कैसे और कितना दिया जाएगा’।
स्थिति और अधिक गंभीर होने की आशंका
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मौजूदा स्थिति पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो मध्य-पूर्व एक पूर्ण सैन्य संघर्ष की ओर बढ़ सकता है। ईरान के हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अब केवल कूटनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि सैन्य जवाब देने की नीति पर काम कर रहा है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया पर नजरें
हालांकि अभी तक अमेरिका की ओर से सीरिया स्थित अड्डे पर हुए हमले की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन यदि यह हमला मान्य किया जाता है, तो अमेरिका की अगली प्रतिक्रिया क्या होगी — यह पूरे क्षेत्र के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
संभावित वैश्विक प्रभाव
इस क्षेत्रीय टकराव का प्रभाव वैश्विक तेल आपूर्ति, सुरक्षा समझौते, और भू-राजनीतिक संतुलन पर भी पड़ेगा। विश्लेषकों का मानना है कि यदि ईरान और अमेरिका के बीच टकराव खुली जंग में बदलता है, तो इससे पूरी दुनिया प्रभावित हो सकती है।