Ranchi (Jharkhand) : झारखंड अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) के साइबर क्राइम थाने ने एक सनसनीखेज मामले का खुलासा करते हुए चीन से जुड़े एक विशाल साइबर धोखाधड़ी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह डिजिटल अरेस्ट और निवेश घोटालों जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त था, जिसमें चीनी जालसाजों की मिलीभगत से करोड़ों रुपये का अवैध वित्तीय लेनदेन किया जा रहा था। साइबर डीएसपी नेहा बाला ने शनिवार को इस मामले की विस्तृत जानकारी दी।
सीआईडी डीजी के आदेश पर त्वरित कार्रवाई, सात गिरफ्तार
सीआईडी के महानिदेशक अनुराग गुप्ता के निर्देश पर सीआईडी की एक विशेष टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के सात सदस्यों को धर दबोचा। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में कुमार दीपक (सिवान, बिहार), प्रभात कुमार (सिवान, बिहार), कुमार सौरभ (नालंदा, बिहार), शिवम कुमार (नवादा, बिहार), अनिल कुमार (पटना, बिहार), प्रदीप कुमार (पटना, बिहार) और लखन चौरसिया (गोपालगंज, मध्यप्रदेश) शामिल हैं। पुलिस ने इन साइबर अपराधियों के कब्जे से 12 मोबाइल फोन, 11 सिम कार्ड, 14 एटीएम कार्ड और व्हाट्सएप व टेलीग्राम चैट से प्राप्त 60 बैंक खातों का विवरण बरामद किया है।
होटल में चल रहा था गोरखधंधा, चीनी कंपनियों से कनेक्शन
साइबर डीएसपी नेहा बाला ने बताया कि 4 जुलाई को साइबर क्राइम थाने को गुप्त सूचना मिली थी कि जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के ओलिव गार्डन होटल में एक संगठित साइबर गिरोह इकट्ठा हुआ है। यह गिरोह फर्जी बैंक खाते (म्यूल बैंक अकाउंट) उपलब्ध कराने और चीनी जालसाजों के साथ मिलकर काम करने में शामिल है। इस सूचना के आधार पर सीआईडी ने तत्काल छापेमारी कर मौके से सात एजेंटों को गिरफ्तार कर लिया। ये एजेंट देश के विभिन्न हिस्सों से फर्जी बैंक खातों की आपूर्ति में सक्रिय थे। इनके साथ ही एक विशेष एजेंट को भी पकड़ा गया, जो मून पे, ड्रेगन पे, सुपर पे और मैंगो पे इंडिया जैसी चीनी कंपनियों के लिए काम कर रहा था।
टेलीग्राम के जरिए भेजते थे बैंक डिटेल्स, चीन में बैठे अपराधी करते थे ठगी
गिरफ्तार किए गए चीनी नेटवर्क से जुड़े एजेंटों के व्हाट्सएप और टेलीग्राम चैट्स से बड़ी संख्या में बैंक खातों की जानकारी और कई डिजिटल सबूत बरामद हुए हैं। डीएसपी ने बताया कि चीनी गिरोह के लिए काम करने वाले एजेंटों को टेलीग्राम के माध्यम से एक विशेष एप्लिकेशन (एपीके फाइल) भेजी जाती थी। एजेंट इस एप्लिकेशन को उन सिम कार्ड में इंस्टॉल करते थे, जो बैंक खातों से जुड़े होते थे। एक बार इंस्टॉल होने के बाद, यह एप्लिकेशन स्वचालित रूप से बैंक से संबंधित ओटीपी और अलर्ट्स को चीनी सर्वर पर भेज देती थी। चीन में बैठे अपराधी इन जानकारियों का उपयोग करके उन खातों का रिमोट एक्सेस प्राप्त कर लेते थे और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी को अंजाम देते थे।
60 फर्जी बैंक खातों से जुड़े हैं 68 मामले
डीएसपी नेहा बाला ने बताया कि सीआईडी को अब तक 60 फर्जी बैंक खातों की जानकारी मिली है, जिनसे पूरे भारत में कुल 68 शिकायतें दर्ज हैं। ये सभी बैंक खाते विभिन्न राज्यों में दर्ज निवेश घोटाले और डिजिटल अरेस्ट से संबंधित शिकायतों से जुड़े हुए हैं, जिनकी रिपोर्ट एनसीआरपी पोर्टल पर उपलब्ध है। झारखंड सीआईडी ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान लिंक, कॉल या लुभावने निवेश प्रस्ताव से सावधान रहें और किसी भी साइबर अपराध की सूचना तत्काल हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दें।
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