Ranchi : झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय अनुबंध शिक्षकेत्तर कर्मचारी मोर्चा का धरना बुधवार को लगातार 100वें दिन भी राजभवन के समक्ष जारी रहा। अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत कर्मचारियों ने राज्य सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए चेतावनी दी कि अगर जल्द उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाने को मजबूर होंगे।
धरना स्थल पर मोर्चा के सदस्य जय मसीह तिग्गा ने कहा कि राज्यपाल और रांची यूनिवर्सिटी के कुलपति जैसे प्रमुख पदाधिकारी आसपास ही हैं, लेकिन किसी ने अब तक हमारी सुध नहीं ली। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से पहले आदिवासी और मूलवासी सम्मान की बातें करने वाली सरकार ने अब खतियानधारी लोगों को फुटपाथ पर ला खड़ा कर दिया है।
संयोजक रवि कुमार ने कहा कि 100 दिन से अधिक हो गए, लेकिन न ही विश्वविद्यालय प्रशासन, न ही राजभवन और न ही सरकार ने कोई ठोस पहल की। उन्होंने बताया कि कई कर्मचारी भुखमरी की कगार पर हैं और उन्हें केवल बहाने और गोलमोल जवाब मिल रहे हैं।
रवि कुमार ने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत उन्हें नौकरी से हटाने की बात कही जा रही है। उनसे कहा गया कि वे इंटरमीडिएट सेक्शन में काम करते थे, लेकिन अब जब वह स्तर समाप्त हो गया है तो वे खुद नौकरी छोड़ दें।
मनीष गोप ने बताया कि वे 23 मार्च से काम पर नहीं जा रहे हैं और तभी से लगातार धरना दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार केवल झूठे आश्वासन दे रही है। नौकरी जाने के बाद कई कर्मचारियों ने बूट पॉलिश और पकौड़े तलने जैसे काम करने शुरू कर दिए, लेकिन फिर भी सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली।
धरने में सुनीता कुमारी, जोसेफ आइंद, मनीष सहित राज्य के विभिन्न जिलों से आए शिक्षकेत्तर कर्मचारी शामिल हुए और सभी ने एक स्वर में चेतावनी दी कि अब अगर बात नहीं सुनी गई तो आत्मदाह के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
Read Also: गैर-शैक्षणिक कार्यों के बढ़ते बोझ से पढ़ाई हो रही बाधित, प्राथमिक शिक्षकों में असंतोष