सेंट्रल डेस्क: भारत की राजनीति में जनगणना एक ज्वलंत मुद्दा है। लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक में जनगणना का मसला हर बार राजनीति की धार को तेज करने का कार्य करता है। झारखंड सरकार ने देश की 16वीं जनगणना के मद्देनज़र तैयारियों को गति दे दी है। राज्य में 31 जुलाई 2025 तक जनगणना अधिसूचना जारी की जा सकती है। इस बार की जनगणना खास होने जा रही है, क्योंकि इसमें सरना धर्म कोड को शामिल करने की अनुशंसा भी की जा सकती है, जिसकी लंबे समय से झामुमो और कांग्रेस मांग कर रहे हैं।
झारखंड विधानसभा पहले ही सरना धर्म कोड को मान्यता देने के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर चुकी है, जिसे केंद्र सरकार को भेजा गया था। अब राज्य सरकार ने एक और कदम बढ़ाते हुए राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के माध्यम से एक नया प्रस्ताव तैयार किया है। इसे जल्द ही अगली कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा।
केंद्र से जनगणना का राजपत्र जारी, राज्य ने पोर्टल पर शुरू की तैयारी
केंद्र सरकार ने 16 जून 2025 को देश की 16वीं जनगणना के लिए राजपत्र (गजट) प्रकाशित कर दिया है। इसके बाद झारखंड सरकार की ओर से भी जनगणना प्रोसेस को लेकर पोर्टल पर प्रोफाइल तैयार किया जा रहा है। एक बार अधिसूचना जारी हो जाने के बाद घर की लिस्टिंग, फील्ड स्टाफ की तैनाती और प्राथमिक कार्य शुरू कर दिए जाएंगे।
जनगणना टाइमलाइन: कब क्या होगा?
सरकार द्वारा तय किए गए कार्यक्रम के अनुसार, जनगणना से जुड़े कार्यों की रूपरेखा कुछ इस प्रकार होगी:
• अगस्त 2025: जनगणना से जुड़े कर्मियों का प्री-टेस्ट आयोजित किया जाएगा।
• नवंबर 2025 से जनवरी 2026: मास्टर ट्रेनर और फील्ड ट्रेनर को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
• जनवरी 2026: जनगणना प्रश्नों की अधिसूचना (गजट) होगी जारी।
• फरवरी 2026: जनगणना कर्मियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
• अप्रैल से सितंबर 2026: घरों का चयन और फील्ड वर्क किया जाएगा।
• दिसंबर 2026: जनगणना पदाधिकारियों का प्रशिक्षण होगा।
• 1 मार्च 2027: देशभर में जनगणना अभियान की औपचारिक शुरुआत होगी।
सरना धर्म कोड को लेकर बढ़ी उम्मीदें
जनगणना में सरना धर्म कोड को शामिल करने की सिफारिश जनजातीय समुदायों की लंबे समय से चली आ रही मांग रही है। झामुमो और कांग्रेस ने इसे न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का मुद्दा बताया है।
अब जब केंद्र ने जनगणना की प्रक्रिया शुरू कर दी है, तो राज्य सरकार के प्रस्ताव के बाद सरना धर्म अनुयायियों को अपनी अलग धार्मिक पहचान दर्ज कराने का अवसर मिल सकता है।
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