रांची : झारखंड की राजधानी रांची स्थित विशेष सीबीआई अदालत ने शनिवार को झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) के पूर्व अध्यक्ष दिलीप प्रसाद, और दो अन्य आरोपियों सुधीर जैन तथा सुरेंद्र जैन को 21 साल पुराने भर्ती घोटाले में दोषी ठहराते हुए दो-दो साल की सजा सुनाई है। साथ ही तीनों आरोपियों पर ₹1 लाख का जुर्माना भी लगाया गया।
कोर्ट का आदेश: सजा के तुरंत बाद मिली ज़मानत
हालांकि अदालत ने फैसला सुनाने के तुरंत बाद तीनों दोषियों को ज़मानत भी दे दी। अदालत ने यह राहत उस प्रावधान के तहत दी, जिसके तहत तीन साल से कम सजा होने पर जमानत दी जा सकती है। इस आदेश के बाद सभी दोषियों को रिहा कर दिया गया।
भर्ती घोटाले की कहानी: पद के दुरुपयोग से लेकर सरकारी खजाने को नुकसान तक
यह मामला वर्ष 2004 में सामने आया था, जब भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायतें मिलने लगीं। इसके बाद 2013 में CBI ने एफआईआर दर्ज की। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि JPSC अध्यक्ष रहते हुए दिलीप प्रसाद ने अपने पद का दुरुपयोग कर नियुक्तियों को प्रभावित किया।
CBI के अनुसार, इस घोटाले के कारण राज्य सरकार को ₹28.66 लाख का नुकसान हुआ। इस केस को RC 6/2013 के नाम से दर्ज किया गया था और यह उसी घोटाले से जुड़ा पहला मामला है, जिसमें कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
विशेष सूत्रों ने बताया कि इस केस से जुड़े कई अन्य मामले अभी लंबित हैं, जिन पर अदालत का फैसला आना बाकी है।
क्या बोले अधिकारी?
CBI अधिकारियों ने कहा, “यह फैसला एक मिसाल है कि कैसे समय के साथ भी न्याय को प्राप्त किया जा सकता है। दिलीप प्रसाद जैसे पदाधिकारी द्वारा पद का दुरुपयोग गंभीर अपराध है।”
यह मामला इस बात का प्रतीक है कि सरकारी संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही कितनी जरूरी है। JPSC जैसी प्रतिष्ठित संस्था के प्रमुख द्वारा पद का गलत इस्तेमाल करना, न केवल प्रशासनिक तंत्र में भरोसे को तोड़ता है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय भी करता है।
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