चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिले में ऑडिट के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। चाईबासा के जिला खनन पदाधिकारी के अधिकार क्षेत्र के दो लीजधारकों के मामले में जांच की गई। इसमें पाया गया कि दोनों ने अप्रैल और मई 2021 के बीच 68.81 हजार मीट्रिक टन लाइम स्टोन डिस्पैच किया था। इन दोनों लीज धारकों के लीज का नवीकरण अक्टूबर 2017 में किया गया था, जो मार्च 2030 तक के लिए वैध है। ऑडिट में पाया गया कि लीज नवीकरण के बाद डिस्पैच किए गए लाइम स्टोन पर मूल रॉयल्टी के बराबर अतिरिक्त रॉयल्टी लगाया जाना चाहिए था, लेकिन जिला खनन पदाधिकारी ने सिर्फ मूल रॉयल्टी के रूप में 55.05 लाख रुपये की वसूली की। अतिरिक्त नहीं लगाने से सरकार को 55.05 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
पहले भी आ चुके हैं अवैध माइनिंग के मामले
इससे पहले भी पश्चिमी सिंहभूम जिले में अवैध माइनिंग के मामले सामने आ चुके हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने राज्य सरकार पर अवैध माइनिंग को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार क्षेत्र के बंद पड़े खदानों को खोलने के लिए गंभीर नहीं है। इससे संबंधित फाइलें राज्य सरकार के पास ही लंबित पड़ी हुई हैं।
जिला खनन पदाधिकारी की भूमिका पर भी सवाल
इस मामले में जिला खनन पदाधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि जिला खनन पदाधिकारी ने लीज धारकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है और कैसे राजस्व की वसूली करती है।
जिला खनन पदाधिकारी ने कहा- नियमानुसार की गई वसूली
जिला खनन पदाधिकारी मेघलाल टुडू ने कहा कि एमएमडीआर संशोधन अधिनियम के तहत एसीसी पर मूल रॉयल्टी के बराबर अतिरिक्त रॉयल्टी लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए अतिरिक्त रॉयल्टी नहीं वसूला गया है और नियमों के अनुरूप रॉयल्टी की वसूली की गई है। यह जानकारी ऐसे समय में सामने आई है जब एसीसी द्वारा अतिरिक्त रॉयल्टी के भुगतान को लेकर सवाल उठाए गए थे।
जिला खनन पदाधिकारी का कहना है कि सभी नियमों और प्रावधानों का पालन करते हुए रॉयल्टी की वसूली की गई है। अब देखना यह होगा कि पूरे मामले का क्या निष्कर्ष निकल रहा है। अब इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और एसीसी की ओर से क्या प्रतिक्रिया आती है। बरहाल पूरा मामला एक बार फिर जांच का विषय बन गया है।
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