रांची : आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था संथाल समाज के तत्वावधान में गुरुवार को हरमू स्थित वीर बुधु भगत सामुदायिक भवन में ओलचिकी लिपि को प्राथमिक स्तर पर कोर्स के प्रत्येक विषय में मान्यता दिलाने के लिए राज्य स्तरीय बैठक हुई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए देश परगना के बैजू मुर्मू ने कहा कि झारखंड अलग राज्य के मूल्य को स्थापित करना राज्य सरकार का परम दायित्व है। राज्य का गठन भाषा और संस्कृति के आधार पर यानी माय माटी के मूल्यों के आधार पर हुआ है। यदि झारखंड में अपने राज्य में ओलचिकी लिपि की उपेक्षा होगी तो यह दुर्भाग्य है। भाषा हमारी आत्मा है और हम अपना आत्मा को कभी मरने नहीं देंगे। भाषा ही हमारी पहचान है। भाषा ही हमारा इतिहास है। ओलचिकी भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन करने की दिशा में सरकार ठोस पहल करें पाठ्यक्रमों में उचित स्थान दें।
बिंदी सोरेन ने कहा कि हमारे लोगों ने भाषा और संस्कृति के सवाल को लेकर झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ी और राज्य भी बना लेकिन आज हम ओलचिकी भाषा संथाल समाज उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई मातृभाषा में प्राइमरी स्तर से शुरू हो। भाषा के सवाल को लेकर हम अपनी उपेक्षा कदापि बर्दाश्त नहीं करेंगे। एक और आंदोलन की जरूरत होगी तो हम इसके लिए तैयार हैं।
बैठक में दुर्गा चरण मुर्मू, सोरेन सुरेंद्र टुडू, रजनीकांत मार्डी, सर्जन हसदा, रमेश हंसदा, सुकुमार सोरेन, सेन बसु हंसदा, दुमका मुर्मू, किसुन मुर्मू, दुलाल हंसदा और चुमु राम बेसरा सहित अन्य उपस्थित थे।