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JAMSHEDPUR : 20 जून को निकलेगा रथ यात्रा, सभी तैयारियां पूरी

by Rakesh Pandey
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जमशेदपुर: शहर के मंदिरों व विभिन्न क्षेत्रों से 20 जून को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा धूमधाम से निकाली जायेगी. इसके लिए शहर में स्थित विभिन्न मंदिरों के पूजा समितियों की ओर से तैयारी लगभग पूरी हो गयी है. कोरोना के चलते पिछले 3 वर्षों तक रथ यात्रा नहीं निकला. सिर्फ परंपरा का निर्वहन किया गया. लेकिन इस वर्ष धूमधाम से रथ यात्रा की तैयारी हो रही है. पिछले साल रथ यात्रा निकाली गयी थी. लेकिन इस बार विशेष रूप से रथ यात्रा की तैयारी की जा रही है.

गोलमुरी स्थित इस्कॉन मंदिर में हर साल की तरह इस साल भी पूजा के लिए जबरदस्त तैयारी चल रही है. इसके अलावा मानगो स्थित बड़ा हनुमान मंदिर, बेल्डीह नागा मंदिर, खास महल जगन्नाथ मंदिर, नामदा बस्ती काली मंदिर से रथ यात्रा निकालने की तैयारी जोरों पर है. इस्कॉन मंदिर की ओर से इस बार भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा बिष्टुपुर स्थित राम मंदिर से दोपहर 2:30 बजे निकलेगी.

रथ यात्रा में बच्चों द्वारा राधे-कृष्ण और राम-सीता की झांकी होगी आकर्षण
इस्कॉन मंदिर के सेवक जगन्नाथ दास ने बताया कि इस बार रथ यात्रा में विशेष रूप से बच्चों की झांकी निकाली जायेगी. झांकी में बच्चे राधा-कृष्ण, राम-सीता लक्ष्मण व बानर सेना भी दिखाई देंगे. उन्होंने बताया कि बच्चों को अपने धर्म के प्रति जागरूक करने के लिए उन्हें इस कार्य से जोड़ा जा रहा है.

इस बार रथ की ऊंचाई 27 फिट होगी
इस्कॉन मंदिर की ओर से 20 जून को बिष्टुपुर राम मंदिर से निकाली जाने वाली रथ की ऊंचाई इस बार 27 फीट होगी. हर साल रथ की ऊंचाई 35 फीट होती थी. इस्कॉन के जगन्नाथ दास ने बताया कि इस बार रथ की ऊंचाई 35 के बजाय 27 फीट की होगी. भगवान जगन्नाथ 27 फीट की रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे. उन्होंने बताया कि हर साल रथ की ऊंचाई ज्यादा होने से बिजली के तारों व पेडों की टहनियों में टकराने का खतरा होता था, इसलिए पूजा समिति द्वारा ऊंचाई घटना का निर्णरू लिया गया. उन्होंने बताया रथ यात्रा की तैयारी को लेकर मंगलवार को तीन रथ राम मंदिर में पहुंचाया गया है. एक रथ भगवान जगन्नाथ की, दूसरी रथ भाई बलभद्र और तीसरी बहन सुभद्रा के लिए तैयार किया जा रहा है.

मंदिर समिति ने बताया कि 17 जून तक रथ सजाने का काम पूरा हो जायेगा. यात्रा राम मंदिर से दोपहर 2:30 बजे शुरू होगी, जो बिष्टुपुर से होते हुए साकची गोल चक्कर होते हुए साकची मनोकामना मंदिर जाकर रथ यात्रा संपन्न होगी. बताया गया कि इस बार भगवान जगन्नाथ का सिंहासन 2 फीट का होगा. इसे पूरी तरह से रंग-बिरंगे कपड़ों से सजाया जायेगा. कपड़ा और सजावट की सामग्री आ गयी है.

रथ यात्रा से पहले भगवान जगन्नाथ को लगेगा 56 प्रकार का भोग
20 जून को रथ यात्रा के दिन सुबह 6 बजे श्रीराम मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मंगल गीत व भजन गाया जायेगा. इसके बाद भगवान का भव्य श्रृंगार करने के बाद उन्हें 56 प्रकार का भोग चढ़ाया जायेगा. रथ यात्रा से पहले 19 को नेत्र उत्सव का आयोजन किया जायेगा. उस दिन भगवान को अन्न का भोग लगेगा.

भगवान भी पड़ गये बीमार

आपने मनुष्य को बीमार होते सुना होगा. लेकिन, क्या आपने सुना है की भगवान बीमार पड़ गये हैं. दरअसल, भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ गये हैं. पिछले 15 दिनों से उनका इलाज चल रहा है. इस दौरान उन्हें एकांतवास में रखा जाता है और मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते हैं. रथ यात्रा शुरू होने से ठीक 15 दिन पहले भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं. 15 दिनों एक एकांतवास में रहते हैं. ज्येष्ठ मास के पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ गर्भगृह से बाहर आते हैं. स्नान के बाद उन्हें बुखार आ जाता है. जिस वजह से वह शयन कक्ष में चले जाते हैं. इस दौरान उनका उपचार किया जाता है और उन्हें कई तरह की औषधियां खिलाई जाती है. इस दौरान उन्हें काढ़ा व सादे भोजन का ही लगाया जाता है.

भगवान जगन्नाथ को जल्द स्वस्थ होने के लिए बैद्य दे रहे है आयुर्वेर्दिक काढ़ा
भगवान जगन्नाथ को जल्द स्वस्थ होने के लिए बैद्य उन्हें आयुर्वेर्दिक काढ़ा दे रहे हैं. भगवान जगन्नाथ पिछले दिनों 5 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन से अस्वस्थ हैं. उसके बाद 15 दिनों तक उनकी स्वस्थ होने के लिए बैद्य दिन में दो बार आयुर्वेर्दिक काढ़ा दे रहे हैं. अस्वस्थ होने पर पूरे विधि-विधान से 15 दिनों तक उन्हें काढ़ा के रूप में फल का जूस और डाभ का पानी दिया जाता है. तब तक भक्तों के लिए मंदिर का कपाट बंद रहता है.

कब शुरू होगी रथयात्रा
भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन निकाली जाती है. इस बार यह यात्रा 20 जून 2023 मंगलवार के दिन निकाली जायेगी.

अपनी मौसी के घर भी जाते हैं भगवान जगन्नाथ
भगवान जगन्नाथ की यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है. जैसे ही भगवान जगन्नाथ स्वस्थ हो जाते हैं वह रथ पर सवार होकर विराजमान हो जाते हैं और नगर की यात्रा करते हैं. इसके बाद वह कुछ दिन के लिए अपनी मौसी के घर आराम करने के लिए जाते हैं.

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