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अब सूर्य फतह की तैयारी, सितंबर के पहले हफ्ते में लांच होगा आदित्य एल-1

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क, नई दिल्ली : चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण के बाद पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है। इस सफलता के बाद अब ISRO (Indian Space Research Organisation) ने सूर्य फतह की तैयारी शुरू कर दी है। बुधवार को चंद्रयान-3 की सफलता के कुछ ही देर बाद इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने सूर्य के अध्ययन की बात कहीं।

उन्होंने कहा कि सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य एल-1 मिशन सितंबर के पहले हफ्ते में लांच किया जाएगा। इसकी तैयारी में वैज्ञानिकों की टीम जुटी हुई है। इससे देशवासियों में दोहरी खुशी की लहर दौड़ पड़ी। उम्मीद जताई जा रही है कि यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह एक नया इतिहास रचेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा-शुक्र और सौरमंडल के सामर्थ्य भी परखी जाएगी

चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दक्षिण अफ्रीका में चल रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से जुड़े थे। उन्होंने वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि यह पल अविस्मरणीय और अभूतपूर्व है। यह विकसित भारत का शंखनाद है।

पीएम ने कहा कि भारत की यह उड़ान चंद्रयान से भी आगे जाएगी। जल्द ही सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए इसरो आदित्य एल-1 मिशन भी लांच करेगा। इसके बाद शुक्र और सौरमंडल के सामर्थ्य को परखने के लिए दूसरे अभियान भी शुरू किए जाएंगे।

अमेरिका एजेंसी नासा प्रमुख ने क्या कहा?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रमुख बिल नेलसन ने भी चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण पर भारतीय वैज्ञानिकों को बधाई दी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि चांद पर सफल साफ्ट लैंडिंग करने वालों में चौथा देश बनने पर भारत को भी शुभकामनाएं। इस अभियान में आपका साझीदार होने पर हमें गर्व है।

ऐसे बढ़ा चंद्रयान-3

चंद्रयान-3 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई को एलवीएम-3 एम-4 व्हीकल के माध्यम से सफलतापूर्वक छोड़ा गया। इसके बाद 15 जुलाई को इसरो ने कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया पूरी की। इस तरह से इसरो ने एक महीना नौ दिन के बाद 23 अगस्त 2023 को सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड करा दिया।
इसरो की स्थापना कैसे हुई?

पहले इसरो का कोई कार्यालय भी नहीं था। वे कैथोलिक चर्च सेंट मैरी के मुख्य कार्यालय में बैठकर सारी प्लानिंग करते थे। वहीं, इसरो की स्थापना 15 अगस्त 1969 को डॉ. साराभाई ने की थी। स्थापना से पहले 1963 में भारत ने पहला राकेट छोड़ा था, जिसे साइकिल पर रखकर केरल के थुंबा गांव में प्रक्षेपण स्थल पर ले जाया गया था।

नारियल पेड़ों को बनाया गया था लांचिंग पैड

भारत में तब न तो उतने संसाधन मौजूद थे और न ही सुविधाएं। इसे देखते हुए भारत ने पहले राकेट के लिए नारियल के पेड़ों को लांचिंग पैड बनाया था। समुद्र किनारे खड़े नारियल के पेड़ों पर इस राकेट को बांधा गया था और फिर सभी वैज्ञानिकों ने मिलकर इसे लांच किया था।

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चंद्रयान के सफल परीक्षण को लेकर देशभर में मन रहा जश्न

चंद्रयान-3 के सफल परीक्षण को लेकर देश में लगातार जश्न का माहौल है। लगातार दूसरे दिन भी देश के विभिन्न राज्यों में तिरंगा झंडा लेकर व मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया जा रहा है। झारखंड के जमशेदपुर के लोगों ने ट्रेनों में भी मिठाई बांटकर खुशियां जाहिर की।

इसके साथ ही, गुरुवार को साकची से लेकर मानगो, बारीडीह सहित अन्य क्षेत्रों में भी लड्डू का वितरण किया जा रहा है। वहीं, विभिन्न दलों की ओर से भी वैज्ञानिकों को बधाई देने के साथ-साथ खुशियां मनाई जा रही है। गुरुवार की शाम में साकची में एक बड़ा कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें शहरभर से लोग शामिल होंगे।

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