नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम करने में जुट गए हैं। आगामी 5 फरवरी को होने वाली वोटिंग से पहले दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और विपक्षी दल अपनी-अपनी चुनावी जीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर, INDIA गठबंधन के प्रमुख सहयोगी समाजवादी पार्टी (SP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कांग्रेस को दरकिनार करते हुए AAP को प्राथमिकता दी है। यह गठबंधन दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि AAP इन सहयोगी दलों का इस्तेमाल अपनी सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने के लिए कर रही है, विशेष रूप से मुस्लिम और बंगाली वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए।
TMC की बंगाली वोटरों पर नजर
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने भी दिल्ली चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। हाल ही में TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने करोल बाग में एक नुक्कड़ सभा की, जिसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली में बसे बंगाली प्रवासियों को AAP के पक्ष में लाना था। महुआ ने अपनी स्पीच में बंगाली और हिंदी दोनों भाषाओं का मिश्रण किया, ताकि वे सीधे तौर पर बंगाली वोटरों से जुड़ सकें। साथ ही, TMC सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को पूर्वांचल क्षेत्रों में प्रचार के लिए लगाया गया है। इस तरह, TMC की कोशिश है कि दिल्ली में बंगाली और पूर्वांचली समुदाय के वोट AAP के पक्ष में पक्के हो जाएं।
SP की मुस्लिम वोटों पर नजर
समाजवादी पार्टी (SP) भी दिल्ली चुनाव में अपनी भूमिका निभाने में पीछे नहीं है। पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पहले ही “एंटी-बीजेपी” वोटरों से अपील कर चुके हैं कि वे अपना वोट न बर्बाद करें और बीजेपी को हराने के लिए AAP को वोट दें। SP की सांसद इकरा हसन, जो दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों में प्रचार कर रही हैं, का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को यह संदेश देना है कि वे अपनी ताकत एकजुट होकर AAP के पक्ष में डालें। समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीटों और उन मोहल्लों पर ध्यान केंद्रित किया है, जहां अल्पसंख्यक समुदाय का वोट बैंक अधिक है। इस प्रचार का मुख्य उद्देश्य है कि AAP को एंटी-बीजेपी वोटों का फायदा हो और वह बीजेपी को हराने में सफल हो सके।
कांग्रेस की चुनौती और AAP की सोशल इंजीनियरिंग
कांग्रेस पार्टी भी दिल्ली चुनावों में मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी पूरी ताकत लगा रही है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने इन इलाकों में रैलियां की हैं, जहां मुस्लिम समुदाय का वोट बैंक ज्यादा है। कांग्रेस का प्रयास है कि वह इन इलाकों में मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में लाकर AAP के लिए चुनौती खड़ी करे। हालांकि, AAP ने समाजवादी पार्टी का समर्थन लेकर इस संभावित नुकसान को कम करने की रणनीति बनाई है। AAP का उद्देश्य है कि वह मुस्लिम समुदाय को यह समझा सके कि एंटी-बीजेपी वोटों का विभाजन नहीं होना चाहिए, ताकि वे एकजुट होकर SP के पक्ष में वोट करें, जैसे कि उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनावों में हुआ था।
Aap की सोशल इंजीनियरिंग का प्रभाव
दिल्ली के चुनावी समीकरण में AAP की सोशल इंजीनियरिंग एक अहम भूमिका निभा सकती है। TMC और SP जैसे सहयोगी दलों के जरिए AAP ने अपने समुदाय आधारित वोट शेयर को मजबूत करने की रणनीति बनाई है। बंगाली और मुस्लिम समुदाय के लिए अलग-अलग प्रचार कार्यक्रमों और नेताओं की नियुक्ति से AAP यह सुनिश्चित करना चाहती है कि इन समुदायों से मिले वोटों से पार्टी का पक्ष मजबूत हो।