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नीरज हत्याकांड: आठ साल बाद बाहर आए झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह

रिनपास से किए गए डिस्चार्ज, कोर्ट मे हाजिर होने के अलावा मुकदमे तक धनबाद में प्रवेश करने पर रहेगी रोक.

by Reeta Rai Sagar
EX-MLA Sanjeev Singh
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धनबाद : अपने चचेरे भाई पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार की हत्या के षड्यंत्र में आठ साल से जेल में बंद झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह सोमवार को रिहा कर दिए गए। संजीव सिंह का रिनपास में इलाज चल रहा था। कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें रिनपास से डिस्चार्ज कर दिया गया है। रिनपास में संजीव सिंह के समर्थक पहले से मौजूद थे। रिहाई के बाद संजीव सिंह अपने समर्थकों के साथ बाहर निकले। संजीव सिंह के धनबाद जिले में प्रवेश पर पाबंदी लगाई गई है। वह मुकदमा चलने तक सिर्फ कोर्ट में पेशी पर धनबाद जा सकते हैं।

संजीव के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने बताया कि सोमवार को दोपहर तीन बजे मुक़दमे का ट्रायल कर रहे दुर्गेश चन्द्र अवस्थी की अदालत ने सजीव को जमानत पर मुक्त करने का आदेश जेल प्रशासन को भेज दिया था। 8 अगस्त 2025 शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय से के मुख्य न्यायाधीश न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनबी अंजारिया की खंडपीठ ने वरीय अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे व सन्नी चौधरी की दलीलें सुनने के बाद संजीव सिंह को जमानत पर मुक्त करने का आदेश दिया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश में कहा था कि संजीव सिंह धनबाद जिले मे तब तक प्रवेश नहीं करेंगे जब तक कि सुनवाई कर रही अदालत में उसकी उपस्थिति आवश्यक न हो। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि संजीव सिंह किसी भी तरह से गवाहों को प्रभावित नहीं करेगें या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगें।

सर्वोच्च न्यायालय का आदेश ट्रायल कोर्ट पहुंचा, जिसके बाद उनके अधिवक्ता की ओर से जमानत बंध पत्र व कोर्ट में हाजिर होने के अलावे मुकदमे की समाप्ति तक धनबाद जिले में प्रवेश नहीं करने का (अंडर टेकिंग) घोषणापत्र अदालत में दायर किया गया। जमानतदार के रूप में संजीव के मामा शिव शंकर सिंह एवं मित्र तुकेश कुमार सिंह जमानतदार बने।

साल 2017 से हैं जेल में

संजीव सिंह 11 अप्रैल 2017 से न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। पूर्व में संजीव सिंह की जमानत अर्जी तीन बार निचली अदालत से व तीन बार उच्च न्यायालय से खारिज हो चुकी थी। अधिवक्ता मो. जावेद ने बताया कि उनकी ओर से यह तर्क दिया गया था कि इस मामले के आरोपी पिंटू सिंह, संजय सिंह, धनजी सिंह, चंदन सिंह और कुर्बान की जमानत सर्वोच्च न्यायालय से एवं रिंकू सिंह तथा डबलू मिश्रा की जमानत उच्च न्यायालय से हो चुकी है।

बीमारियों से ग्रसित हैं संजीव

अधिवक्ता की दलील थी कि संजीव सिंह सात विभिन्न प्रकार की बीमारियों से गसित हैं। अभी तक मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो पाई है, यह उनके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। वहीं मामले के सूचक अभिषेक सिंह की ओर से अधिवक्ता पी एस सुधीर ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि आवेदक इस मामले के मुख्य अभियुक्त हैं जो पूर्व में विधायक भी रह चुके हैं। इन्हें जमानत मिलने पर यह गवाहों को धमका सकते हैं, उन्हें प्रभावित कर सकते हैं जिस पर अदालत ने कहा था कि चूंकि इस मामले में सभी गवाहों की गवाही हो चुकी है इसलिए उसे किसी भी से तरह प्रभावित करने का कोई प्रश्न नहीं उठता।

2017 को दायर हुआ था आरोप पत्र

संजीव के विरुद्ध पुलिस ने 28 जून 2017 को आरोपपत्र दायर किया था। तीन जनवरी 2019 को अदालत ने संजीव समेत छह के विरुद्ध आरोप का गठन कर दिया था। अभियोजन ने इस मामले में 37 गवाहों की गवाही कराई है। वर्तमान में मुकदमे में रोजाना सुनवाई चल रही है जिसमें बचाव पक्ष की ओर से लगातार बहस की जा रही है।

स्टीलगेट में ताबड़तोड़ फायरिंग कर की गई थी हत्या

21 मार्च 2017 की शाम करीब सात बजे नीरज सिंह, अशोक यादव, निजी अंगरक्षक मुन्ना तिवारी एवं ड्राइवर घोल्टू की हत्या अंधाधुंध गोलियां चलाकर स्टील गेट में की गई थी। नीरज के भाई अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू सिंह की शिकायत पर विधायक संजीव सिंह, भाई मनीष सिंह, पिंटू सिंह, गया सिंह, महंत पांडेय के विरुद्ध की प्राथमिकी सरायढेला थाना में गई थी।

पुलिस ने संजय सिंह, डबलू मिश्रा, धनजी सिंह, पिन्टू सिंह, संजीव सिंह, अमन सिंह, सोनू उर्फ कुर्बान, सागर उर्फ शिबू, चंदन उर्फ सतीश एवं विनोद कुमार सिंह को इस मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। वर्तमान में संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह झरिया से विधायक हैं। संजीव के पिता स्व. सूर्यदेव सिंह भी झरिया के विधायक रहे हैं, मां कुंती सिंह भी झरिया से विधायक रहीं हैं।

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