पटना : बिहार की राजधानी पटना में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे शहरवासियों को सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। आज गांधी मैदान क्षेत्र में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 302 तक पहुंच गया है, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है। वहीं, राजा बाजार क्षेत्र में AQI 280 और इको पार्क इलाके में 275 के आसपास दर्ज किया गया है। इन आंकड़ों से साफ है कि पटना की हवा अब और भी जहरीली होती जा रही है, और इसके कारण शहरवासियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
PM 10 कणों का बढ़ा स्तर
पटना में वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह हवा में मौजूद पीएम 10 कणों की बढ़ी हुई मात्रा है। पटना नगर निगम लगातार वाटर फॉगिंग जैसी गतिविधियों के जरिए हवा में धूल और प्रदूषण को कम करने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, शहर में हो रहे निर्माण कार्यों के कारण हवा में धूलकण की मात्रा पहले से तीन गुना ज्यादा बढ़ चुकी है। यही नहीं, आज भी हवा में पीएम 10 कणों की मात्रा मानक स्तर से काफी अधिक पाई गई है। इसका असर न सिर्फ लोगों की सेहत पर पड़ रहा है, बल्कि पर्यावरण भी खतरे में है।
PM 2.5 कणों का खतरनाक स्तर
इसके अलावा, पटना में पीएम 2.5 कणों की मात्रा भी खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह होते हैं। ये छोटे कण फेफड़ों तक पहुंचकर गंभीर श्वसन समस्याओं का कारण बन सकते हैं। पीएम 2.5 कणों की मात्रा मानक स्तर से दो गुना अधिक है, जो विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी रोगों से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
प्रशासन के उपाय नाकाम साबित
वहीं, जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन उनका असर सीमित होता दिख रहा है। पटना में एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार खराब होता जा रहा है, और प्रदूषण का स्तर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। एयर पॉल्यूशन से बचने के लिए प्रशासन द्वारा वाहन धुएं पर नियंत्रण, निर्माण कार्यों में पाबंदी और पानी का छिड़काव जैसे कदम उठाए गए हैं, लेकिन इन उपायों का अपेक्षित प्रभाव नहीं देखा जा रहा है।
वायु प्रदूषण से प्रभावित अन्य जिले
यह सिर्फ पटना की समस्या नहीं है, बल्कि राज्य के अन्य हिस्सों में भी वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। वैशाली, मुजफ्फरपुर, किशनगंज और पूर्णिया जैसे जिलों में भी हवा की गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है। ठंड के मौसम में प्रदूषण के स्तर में और भी वृद्धि देखने को मिलती है, और इस समय राज्य के पांच जिलों में लोग जहरीली हवा से जूझ रहे हैं।
स्वास्थ्य पर असर
पटना और आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा असर लोगों की सेहत पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक इस तरह की खराब हवा में सांस लेना श्वसन तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अस्थमा, ब्रोन्काइटिस, और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियां बढ़ सकती हैं। इसके साथ ही, दिल और दिमाग से जुड़ी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, खासकर उन लोगों में जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है।
पटना और राज्य के अन्य हिस्सों में बढ़ते वायु प्रदूषण ने एक गंभीर संकट पैदा कर दिया है। प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आई है। अब जरूरत है कि अधिक कठोर कदम उठाए जाएं, जैसे कि निर्माण कार्यों पर नियंत्रण, गाड़ियों के धुएं को नियंत्रित करना और प्रदूषण की रोकथाम के लिए और सख्त नीतियां बनाई जाएं। वहीं, लोग भी व्यक्तिगत स्तर पर मास्क का उपयोग करने, घरों में एयर प्यूरीफायर लगाने और धूल और धुएं से बचने की कोशिश करें।
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