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Jharkhand Success Story : झारखंड की बेटी अमीषा केरकेट्टा ओलंपिक में दिखाएगी भारतीय मुक्के का दम

by Reeta Rai Sagar
Boxer Amisha Kerketta with coach BB Mohanty at JSSPS
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  • सिंमडेगा निवासी किसान की 17 वर्षीय बेटी अपनी लगन व संघर्ष से रच रही स्वर्णिम गाथा

Simdega (Jharkhand) : झारखंड के सिमडेगा जिले की एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाली 17 वर्षीय अमीषा केरकेट्टा ने अपनी लगन और मेहनत से असाधारण मुकाम हासिल किया है। एक किसान की बेटी अमीषा अब अबूधाबी में होने वाले यूथ ओलंपिक गेम्स 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। बॉक्सिंग रिंग में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए तैयार अमीषा की कहानी संघर्ष और सफलता की एक प्रेरणादायक मिसाल है।

गरीबी बनी हौसले की उड़ान-किसान पिता, गृहिणी मां और ओलंपिक का सपना

अमीषा का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। उनके पिता किसानी कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं, जबकि उनकी मां घर संभालती हैं। तमाम मुश्किलों के बावजूद अमीषा ने अपने सपनों को कभी टूटने नहीं दिया। उन्होंने झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी (JSSPS) में प्रशिक्षण प्राप्त किया, जहां उन्हें अर्जुन पुरस्कार विजेता बीबी मोहंती जैसे अनुभवी कोच का मार्गदर्शन मिला। मोहंती की कोचिंग ने अमीषा के करियर को नई दिशा दी।

वर्ल्ड चैंपियनशिप में दिखाया दम, अब ओलंपिक में लहराएंगी परचम

अमीषा ने हाल ही में जूनियर वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मेडल अपने नाम किया, जिससे पूरे देश का मान बढ़ा। इससे पहले भी उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें यूथ ओलंपिक कैंप के लिए चुना गया और अब वह प्रतिष्ठित ओलंपिक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए उत्साहित हैं। अमीषा का अगला बड़ा लक्ष्य 2028 ओलंपिक गेम्स है और इसके लिए वह अभी से कड़ी मेहनत में जुटी हुई हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच बीबी मोहंती को देते हुए कहा कि वह हमेशा से उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा रहे हैं।

झारखंड को गर्व: अमीषा बनीं लाखों युवाओं के लिए आदर्श

अमीषा की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार के लिए बल्कि पूरे झारखंड राज्य के लिए गर्व का विषय है। एक छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाना किसी भी युवा के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। अमीषा की कहानी यह साबित करती है कि यदि सही मार्गदर्शन और अटूट मेहनत की जाए तो हर बाधा को पार कर सपनों को साकार किया जा सकता है। अमीषा केरकेट्टा आज झारखंड के लाखों युवाओं के लिए एक रोल मॉडल बन चुकी हैं, जो उन्हें देखकर अपने सपनों को पूरा करने का हौसला पा रहे हैं।

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