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संभल में 48 साल बाद खुले मंदिर के कुएं से निकलीं प्राचीन खंडित मूर्तियां

संभल में 48 साल बाद फिर से मंदिर खोले जाने के बाद प्राचीन मूर्तियों प्राप्त होना क्षेत्र के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को उजागर करता हैं। अब प्रशासन इन मूर्तियों और मंदिर की जांच कराएगा जिससे यह जाना जा सके कि यह मंदिर और मूर्तियां कितनी पुरानी हैं

by Rakesh Pandey
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संभल : उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक ऐतिहासिक घटना घटी है। 48 साल बाद एक पुराने मंदिर के पास स्थित कुएं से प्राचीन और खंडित मूर्तियां निकलीं। यह घटना जिले के दीपसराय और खग्गू सराय क्षेत्र में हुई, जहां शनिवार को प्रशासन की ओर से एक पुराने शिव मंदिर को फिर से खोला गया। इस मंदिर के पास स्थित कुएं की खुदाई के दौरान तीन मूर्तियां निकलीं जो प्राचीन हिंदू देवी-देवताओं की हैं। यह मूर्तियां करीब 7 से 8 इंच लंबी हैं और यह माता पार्वती, गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतीत हो रही हैं। इन मूर्तियों के मिलने से इलाके में हलचल मच गई है और प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया है।

मंदिर के खुलने के बाद शुरू हुआ खुदाई का अभियान

संभल जिले के खग्गू सराय इलाके में स्थित यह शिव मंदिर पिछले चार दशकों से बंद पड़ा था। शनिवार को प्रशासन ने इस मंदिर को फिर से खोलने का निर्णय लिया। इसके बाद इलाके में भारी भीड़ जमा हो गई। मंदिर के पुनः उद्घाटन के बाद पूजा-अर्चना शुरू शुरू कर दी गई है। मंदिर के पास स्थित कुएं की भी खुदाई शुरू की गई, और इस प्रक्रिया में करीब 15 से 20 फीट तक खुदाई की गई। खुदाई के दौरान एक-एक कर खंडित मूर्तियां बाहर आने लगीं, जिन्हें देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ये मूर्तियां लंबे समय से यहां दबी हुई थीं। प्रशासन ने इन मूर्तियों को सुरक्षित रूप से अपने कब्जे में लेकर जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है।

खंडित मूर्तियां और उनकी पहचान

खुदाई के दौरान निकली मूर्तियों में प्रमुख रूप से माता पार्वती, गणेश जी और लक्ष्मी जी की प्रतिमाएं शामिल हैं। इन मूर्तियों का आकार लगभग 7 से 8 इंच के बीच है और देखने से यह स्पष्ट होता है कि ये मूर्तियां काफी पुरानी हैं। इन मूर्तियों के खंडित होने से यह भी संकेत मिलता है कि इन्हें लंबे समय से कहीं दबाकर रखा गया था, और यह अब तक के ऐतिहासिक परिवर्तनों का हिस्सा रही हैं। फिलहाल, इन मूर्तियों की पहचान और उनकी वास्तविक उम्र का पता लगाने के लिए प्रशासन ने विशेषज्ञों को जांच के लिए बुलाया है।

46 साल पुरानी मंदिर की कहानी

संभल के इस मंदिर का इतिहास भी बेहद दिलचस्प है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण हिंदू समुदाय को इस इलाके से पलायन करना पड़ा था, जिसके बाद यह मंदिर बंद हो गया। इस मंदिर को हिंदू महासभा के संरक्षक विष्णु शंकर रस्तोगी ने अपनी यादों में बताया कि जब दंगे हुए थे, तब से ही यह मंदिर बंद पड़ा था। मंदिर का यह इतिहास बताता है कि यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल था, जिसे सांप्रदायिक संघर्ष के कारण बंद कर दिया गया। अब, 46 साल बाद इस मंदिर को फिर से खोला गया है और इस क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत हो रही है।

कार्बन डेटिंग और जांच प्रक्रिया

इस मंदिर और इससे जुड़े अवशेषों की उम्र का पता लगाने के लिए प्रशासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा है। मंदिर की कार्बन डेटिंग कराने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है, जिससे यह पता चल सके कि यह मंदिर और इसकी मूर्तियां कितनी पुरानी हैं। इसके अलावा, मंदिर के पास पाए गए कुएं और वहां के अन्य अवशेषों की भी गहरी जांच की जा रही है। इससे न केवल मंदिर के ऐतिहासिक महत्व का पता चलेगा, बल्कि यह भी समझने में मदद मिलेगी कि इस क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से क्या परिवर्तन हुए हैं।

सुरक्षा और प्रशासन की कार्रवाई

संभल के इस क्षेत्र में मंदिर के पुनः खुलने के बाद प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। जिला प्रशासन ने मंदिर के आस-पास 24 घंटे सुरक्षा तैनात की है और सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। मंदिर के आसपास जो अतिक्रमण हो रहा था, उसे हटाया जा रहा है ताकि मंदिर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को सही तरीके से संरक्षित किया जा सके। इस मंदिर का पता पिछले दिनों बिजली चोरी रोकने के दौरान चला, जब पुलिस और प्रशासन की टीम यहां पहुंची थी।

संभल में 48 साल बाद फिर से खोला गया यह मंदिर और वहां से निकली प्राचीन मूर्तियां क्षेत्र के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को उजागर करती हैं। यह घटना न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पूरे जिले के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। अब प्रशासन इन मूर्तियों और मंदिर की जांच कराएगा, ताकि यह जाना जा सके कि यह मंदिर और मूर्तियां कितनी पुरानी हैं और इनका सांस्कृतिक महत्व क्या है। साथ ही, यह घटना एक बार फिर से यह साबित करती है कि भारतीय संस्कृति और इतिहास के कई अज्ञात पहलू समय-समय पर सामने आते रहते हैं।

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