चतरा : झारखंड के चतरा जिले के पत्थलगड़ा स्थित मोरशेरवा पहाड़ी में प्राचीन प्रतिमाओं और कलाकृतियों की खोज का सिलसिला लगातार जारी है। चौथे दिन पहाड़ी की चोटी से हनुमान जी की एक प्राचीन प्रतिमा बरामद की गई है, जिसने इस स्थान की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को और बढ़ा दिया है।
शनिवार की संध्या के समय जेसीबी मशीन से पहाड़ी की सफाई और समतलीकरण का कार्य चल रहा था। इसी दौरान जमीन के नीचे से एक ग्रे स्टोन की बनी हनुमान जी की प्रतिमा निकली, जो पौने दो फीट ऊंची और एक फीट चौड़ी थी। हालांकि, सफाई के दौरान प्रतिमा का एक हाथ क्षतिग्रस्त हो गया। प्रतिमा का रूप संकट मोचन हनुमान के रूप में था।
पहले भी मिली थीं अन्य प्राचीन कलाकृतियां
मोरशेरवा पहाड़ी की चोटी पर अष्टभुजी मंदिर के उत्तर में यज्ञ मंडप बनाने के लिए पिछले चार दिनों से समतलीकरण का कार्य चल रहा था। इसी दौरान पहले माता लक्ष्मी की प्राचीन प्रतिमा, फिर अष्टधातु का घंटा और मिट्टी के बने कलश व दीये मिल चुके थे। इन कलाकृतियों को पास स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना के लिए रखा गया है। अब हनुमान जी की प्रतिमा मिलने से इस स्थल की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता और भी बढ़ गई है।
ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल
स्थानीय लोग इसे अपने पूर्वजों की धरोहर मानते हैं। नावाडीह के पूर्व मुखिया मेघन दांगी और समाजसेवी रामचंद्र दांगी ने बताया कि 1950 के दशक से मोरशेरवा पहाड़ी पर सावन सप्तमी के अवसर पर विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। यहाँ के गांवों के लोग इसे श्रद्धा का केंद्र मानते हैं। यह स्थल क्षेत्र का सबसे ऊंचा स्थान है, जहाँ हर साल खीर का भोग भी लगाया जाता है।
झारखंड पुरातत्व एवं कला संस्कृति विभाग के पूर्व सहायक निदेशक डॉ. हरेंद्र सिंहा ने बताया कि इस प्रकार की प्राचीन कलाकृतियों के मिलने से इस स्थल की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता और भी स्पष्ट हो गई है।