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Assam Govt : असम सरकार ने लाया न्यू मुस्लिम मैरिज बिल, अब मौलवी के पास निकाह रजिस्टर कराना अनिवार्य नहीं

by Rakesh Pandey
Assam New Muslim Marriage Law
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गुवाहाटी : Assam New Muslim Marriage Law : असम विधानसभा ने मुस्लिमों के विवाह और तलाक के अनिवार्य सरकारी पंजीकरण संबंधी विधेयक को गुरुवार यानी 29 अगस्त को पारित किया। वहीं राज्य के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने इस बिल को मंगलवार 27 अगस्त को पेश किया था। इसे लेकर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि नए कानून के लागू होने के बाद बाल विवाह पंजीकरण पर पूरी तरह रोक लग जाएगी।

 Assam New Muslim Marriage Law :  क्या है मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024

नए बिल को समझने के लिए पहले इससे जुड़े पुराने कानून को समझना होगा। वहीं 90 साल पहले अंग्रेजों के दौर में 1935 के कानून में निकाह और तलाक के लिए रजिस्ट्रेशन का जिक्र किया गया था। इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक बनाया गया था। यह अधिनियम मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित करता था। वहीं साल 2010 में इसमें बदलाव किया गया और रजिस्ट्रेशन को ऐच्छिक न रखकर, अनिवार्य किया गया। 1935 के कानून में विशेष स्थिति में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती थी।

हालाकि ये शर्त थी कि राज्य में निकाह और तलाक के लिए होने वाले रजिस्ट्रेशन कराने की जिम्मेदारी किसी मुस्लिम व्यक्ति को दी जाए। ऐसा ही नियम बनाया गया। इस तरह काजी ही रजिस्ट्रेशन कराते आए हैं। अधिनियम में कहा गया था कि अगर लड़का और लड़की की उमर 18 और 21 वर्ष की कानूनी विवाह योग्य आयु पूरी नहीं कर पाए हैं तो भी वो शादी का पंजीकरण करा सकते थे। हालांकि इस अधिनियम को आधुनिक सामाजिक मानदंडों के अनुरूप नहीं माना गया। इसके साथ ही 6 महीने पहले असम सरकार ने राज्य में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट 1935 को खत्म कर दिया। राज्य मंत्री जयंत मल्लबरुआ ने इसे यूनिफॉर्म सिविल कोड की दिशा में बड़ा कदम बताया था। उनका कहना था कि इससे राज्य में बाल विवाह रोके जा सकेंगे।

 Assam New Muslim Marriage Law :  नए कानून से बहु विवाह पर लगेगी रोक

असम सरकार में मंत्री जोगेन मोहन कहा कि नए कानून से बहुविवाह पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इससे विवाहित महिलाओं को ससुराल में रहने और भरण-पोषण के अधिकार का दावा करने में सक्षम बनाया जा सकेगा। वहीं असम सरकार के अनुसार इससे विधवाओं को अपने उत्तराधिकार के अधिकार और विशेषाधिकार लेने में सहायता मिलेगी, जो उनके पति की मृत्यु के बाद उन्हें मिलेगा। असम सरकार के मंत्री ने बताया कि इससे विवाह संस्था मजबूत होगी और वैसे पुरुष जो शादी के बाद पत्नी को छोड़ देते थे, अब वो ऐसा नहीं कर पाएंगे।

वहीं असम के मुख्यमंत्री ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि ‘आज असम की बेटियों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। असम विधानसभा ने मुस्लिम विवाह पंजीकरण विधेयक 2024 को पारित कर दिया है। इस नए कानून के लागू होने के बाद नाबालिका से विवाह की पंजीकरण एक कानूनी अपराध माना जाएगा। इसके अलावा मुस्लिम विवाह की पंजीकरण अब काजी नहीं, सरकार करेगी’। इसके साथ ही सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने साफ किया कि राज्य सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ और इस्लामी रीति-रिवाजों से होने वाली शादियों में कोई भी हस्तक्षेप नहीं करेगी।

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